desi sex kahani हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम विजय है और मेरी उम्र 24 साल, लम्बाई 5.8 है। में दिखने में ठीक लगता हूँ और में एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। दोस्तों में भी आप सभी की तरह बहुत समय से सेक्सी कहानियों को पढ़कर मज़े लेता आ रहा हूँ और मुझे सभी सेक्सी कहानियाँ बहुत पसंद आती है। फिर एक बार मैंने मन में विचार बनाया कि में भी अपनी उस सच्ची घटना जो मेरे साथ घटित हुई उसको आप सभी के लिए लिखकर पेश करूं और आज मैंने उसको लिख लिया है और भेज रहा हूँ उम्मीद करता हूँ कि सभी पढ़ने वालों को यह जरुर पसंद आएगी। दोस्तों यह कहानी तब की है जब में अपनी स्कूल की पढ़ाई कर रहा था और मेरे उन दिनों 10th के पेपर पूरे होने के बाद में अपनी मौसी के घर अपनी छुट्टियाँ बिताने के लिए गया था। दोस्तों मेरी मौसी एक गाँव में रहती है और उस गाँव में उनका एक बड़ा सा घर है और जब में वहां पर पहुंचा, तब घर में मेरी मौसी और मौसा जी थे। दोस्तों वैसे मेरी मौसी को दो बेटियाँ है और वो दोनों शादीशुदा है, जिसमे से एक का नाम वर्षा है और दूसरी बेटी का नाम नंदनी है दोनों बेटियों की शादी हो जाने की वजह से अब मेरी मौसी-मौसाजी उसके कोई भी लड़का ना होने की वजह से उस इतने बड़े घर में अलेके ही रहते है।
दोस्तों मेरी वर्षा दीदी की उम्र करीब 27 साल है और नंदनी दीदी की उम्र 24 साल है और मेरे साथ जो घटना घटी वो मेरी वर्षा दीदी के साथ घटी। दोस्तों जब में अपनी मौसी के घर गया था, उस समय मेरी वर्षा दीदी भी वहीं अपनी माँ के घर आई हुई थी। फिर मेरे वहां पर पहुंचते ही वो सभी लोग मुझे देखकर बहुत खुश हुए, क्योंकि पिछले तीन साल से में अपनी स्कूल की छुट्टियों में वहीं पर जाता था। फिर में भी मेरी वर्षा दीदी को वहां पर देखकर बहुत खुश था, क्योंकि वो मुझे उनके घर पहली बार मिली थी और उनके शादी हो जाने के बाद हम दोनों एक दूसरे को बहुत कमी से मिले थे। फिर में अपनी मौसी के घर पहुंचकर मुहं हाथ धोकर उस लंबे सफर की थकान को दूर करके हल्का हो गया और उसके बाद में टीवी देखने लगा था। फिर थोड़ी ही देर के बाद वर्षा दीदी ने मुझे आवाज देकर अपने पास बुला लिया और में हाँ में अभी आ रहा हूँ कहकर तुरंत ही उनके कमरे में चला गया, क्योंकि उनका वो कमरा ऊपर था और फिर उस कमरे में जाते समय मैंने देखा कि मेरी मौसी अपना कुछ सामान एक बेग में जमा रही थी।
अब में मन ही मन में सोचने लगा कि यह क्यों अपना सामान जमा रही है? फिर मैंने अपनी दीदी के पास जाकर उनसे पूछा कि मौसी बेग में सामान क्यों जमा रही है? तब वर्षा दीदी ने मुझे बताया कि वो दोनों एक सप्ताह के लिए यात्रा पर बाहर जा रहे है। दोस्तों माफ करना में अपनी दीदी के बारे में आप सभी को बताना तो भूल ही गया और अब बता देता हूँ। मेरी दीदी थोड़ी लंबी और गोरी है, उसके बूब्स आकार में इतने बड़े नहीं थे, लेकिन उनकी वो गांड बहुत मस्त उभरी हुई थी और उनको एक बेटी भी है और वो शादीशुदा और एक बच्चे की माँ होने के बाद भी किसी कुंवारी लड़की जैसी नजर आती थी। अब में अपनी दीदी के कमरे में जाकर उनकी बेटी के साथ खेलने लगा और वो कुछ देर बाद नीचे चली गयी, फिर वर्षा दीदी ने हम सभी के लिए खाना बनाया और खाना खाने के बाद हम सभी बैठे हुए बातें कर रहे थे। फिर उन सभी ने मेरे घर का हालचल मुझसे पूछा और फिर मौसी ने मुझसे कहा कि में अपनी दीदी के साथ यहीं पर ही रहूँ, क्योंकि जल्दी सुबह ही वो लोग ट्रेन से बाहर जाने वाले है तुम्हे यहाँ आया देखकर हमारी आधी चिंता खत्म हो गई और अब हम आराम से जा सकते है, क्योंकि घर की हमे पीछे से कोई भी चिंता अब नहीं होगी।
फिर हम सभी लोग बातें खत्म करके सोने के लिए चले गये और उसी समय जब में जा रहा था, तभी दीदी ने मुझसे कहा कि में उनके साथ ही कमरे में सो जाऊं। अब मैंने उनको तुरंत हाँ कर दिया और में साथ ऊपर वाले उनके कमरे में सोने चला गया, रात को बहुत देर तक हम दोनों बैठकर इधर उधर की बातें कर रहे थे। फिर मैंने कुछ देर बाद दीदी से उनके पति के बारे पूछा, लेकिन वो मेरे मुहं से अपने पति के बारे में सुनते ही तुरंत ही उदास हो गयी और वो अब बिल्कुल चुप हो गयी जैसे उनको कोई सांप सूंघ गया हो, उनके चेहरे से वो मुझे थोड़ी सी नाराज़ भी लगी। फिर मैंने कहा कि मुझे माफ करे मेरा आपका दिल दुखाने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था और अब में पलंग पर लेट गया, लेकिन वो तो अब रोने लगी थी और वो कहने लगी कि उन दोनों पति-पत्नी का झगड़ा हो गया है। अब वो मुझसे कहने लगी कि हमारे बीच यह झगड़ा उनको बेटी होने की वजह से हुआ है, क्योंकि उनके पति और सास को मुझसे एक बेटा चाहिए था, लेकिन पहली बार ही बेटी होने की वजह से हमारे बीच झगड़ा हुआ था और इस वजह से वो अपनी माँ के घर वापस चली आई। अब वो अपनी बात को खत्म करके दोबारा रोने लगी थी, उनको रोता देख मुझे उनके ऊपर दया आ गई।
फिर मैंने उनको पानी लाकर दे दिया और में उनको चुप करवाने लगा था, कुछ देर के बाद हम दोनों सो गये। फिर दूसरे दिन सुबह जब में उठा तब मैंने देखा कि मेरी मौसी और मौसाजी अब तक जा चुके थे और मेरी दीदी उस समय रसोई में काम कर रही थी। फिर कुछ देर बाद हम दोनों ने साथ में बैठकर नाश्ता किया और उसके बाद हम दोनों वापस ऊपर वाले कमरे में चले गये और तभी मुन्नी रोने लगी। अब में उसको चुप करवाने के लिए उसको अपनी गोद में उठाकर उसके साथ खेलने लगा, लेकिन वो चुप ना होकर अब और भी ज़ोर से रोने लगी थी। फिर दीदी ने उसको मेरे पास से अपनी गोद में ले लिया और उन्होंने मुझसे कहा कि मुन्नी को भूख लगी है इसलिए वो इतना रो रही है, उसका दूध पीने का समय हो चुका है, इसलिए उसको अब दूध पिलाना पड़ेगा और तब जाकर ही वो चुप होगी। दोस्तों उस समय मेरी दीदी ने गाउन पहना हुआ था और फिर दीदी ने तुरंत नीचे बैठकर मेरे ही सामने अपने गाउन के ऊपर के दो तीन बटन को खोलकर अपना एक बूब्स उस खुले हिस्से से बाहर निकालकर मुन्नी के मुहं में अपने एक निप्पल को दे दिया।
अब मुन्नी उस निप्पल को अपने मुहं में लेकर चूसने लगी थी और में बस वही सब बड़े ध्यान से देख रहा था, क्योंकि मैंने पहली बार किसी को इतना पास से बच्चे को दूध पिलाते हुए और किसी के गोरे गोल बूब्स को अपनी आँखों से देखा था, इसलिए में बड़ा चकित था। फिर कुछ देर बाद दीदी ने मेरी तरफ अपनी नजर को उठाकर देखा और दीदी ने मुझसे पूछा कि तुम ऐसे क्या घूरकर देख रहे हो? अब में उनके मुहं से यह सवाल सुनकर शरमा गया। फिर तुरंत ही मैंने अपनी नजर को नीचे झुका लिया था और में उनको कहने लगा कि कुछ नहीं और फिर में उस कमरे से बाहर जाने लगा था। फिर दीदी ने उसी समय मुझसे कहा कि तुम यहीं रहो, तुम्हे कहीं नहीं जाना और में उनकी यह बात सुनकर वापस बैठ गया और उस समय मैंने अपनी झुकी नजर से चोरी छिपे देखा कि दीदी ने आज अपने उस गाउन के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। अब मेरी दीदी के बूब्स को मुन्नी बड़े मज़े से चूस रही थी और कुछ देर दूध पीने के बाद मुन्नी बिल्कुल शांत हो गयी और शायद वो पेट भरने की वजह से चुप थी। फिर दीदी ने मुझसे कहा कि तुम बैठकर कुछ देर इसके साथ खेलो, तब तक में नहा लेती हूँ और फिर वो मुझे अपनी बेटी के पास छोड़कर नहाने चली गयी और में मुन्नी के साथ खेलने मस्ती करने लगा था।
फिर दीदी थोड़ी देर के बाद नहाकर बाथरूम से बाहर आ गई और फिर में बस उन्हे देखता ही रहा गया, क्योंकि दीदी ने उस समय अपने गोरे चिकने बदन पर सिर्फ़ टावल ही लपेटा हुआ था और उनके वो खुले हुए लंबे काले बाल बहुत सुंदर थे वो उस गोरे बदन की सुंदरता को कुछ ज्यादा ही बढ़ा रहे थे, इसलिए मेरी दीदी उस समय क्या मस्त लग रही थी। अब पहली बार अपनी दीदी का वो कामुक द्रश्य उनका आधा नंगा बदन देखकर मेरे अंदर एक झनझनाहट होने लगी थी और में बस उनके गोरे चिकने पैर और जांघो को ही देख रहा था, जिसके वजह से मेरे अंदर की जवानी अंगड़ाई लेने लगी थी। दोस्तों उस द्रश्य को देखकर मेरा मुहं पूरा खुला ही रह गया और वो कब मुझे देखने लगी थी मुझे यह भी पता नहीं रहा, मेरी नजरे अपनी दीदी के बदन को अपनी खा जाने वाली नजरों से देख रही थी, क्योंकि मेरे साथ ऐसा सब पहली बार हो रहा था। फिर दीदी ने मुझे अपने पास बुलाया, तब जाकर मैंने उनकी आँखों में झांककर देखा और में शरमा सा गया और वो मेरी तरफ देखकर हंस रही थी। दोस्तों उसी समय मेरा लंड पूरा तनकर खड़ा हो चुका था और मेरी इच्छा हो रही थी कि में अभी अपनी दीदी की चुदाई कर दूँ और मेरे झटके देते हुए लंड ने मुझे बड़ा मजबूर किया, लेकिन मुझे बड़ा डर भी लग रहा था और इसलिए में चुप ही रहा।
0 comments:
Post a Comment