Thursday, November 9, 2017

वो सेक्सी आंटी के पति ने मुझे बांधकर जबरजस्ती चोदा चुत का पसीना छूट गया



हेल्लो दोस्तों, मै सोनाली गुप्ता आप सभी का Hindi Sex Stories में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ।
 मै नॉन वेज डॉट कॉम की बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ। आज मै आप सभी को अपनी जिन्दगी की सबसे
 खतरनाक चुदाई का महागाथा सुनाने जा रही हूँ। मै फैजाबाद की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र लगभग 
19 साल होगी और मेरी कद लगभग 5.4 फीट होगा। अब मै अपने बारे में आप लोगो को क्या बताऊँ,
 वैसे तो मेरा रंग गोरा है, काले काले काले लम्बे बाल और मेरा चेहरा तो बहुत ही खुबसूरत है। लेकिन 
जिस तरह चाँद में दाग है उसी तरह मेरे चहरे में भी छोटा सा कला दाग है वो है मेरा काला मांस जो ठीक मेरे
 होठो के निचे है। उसकी वजह से मेरा चेहरा और भी खुबसूरत लगता है। मेरी काली और बड़ी बड़ी आंखे जो हर
 किसी को दीवाना कर देती है, और मेरे लाल और भरे हुए गाल और मेरे होठ जोकि देखने में बहुत ही रसीले है।
 उनको देखने के बाद लड़के तो मेरी तरफ खीचे चले आते है। और मेरे चूचियो की बात करे तो उसकी बात ही 
अलग है। मेरी चूचियां अभी ज्यादा बड़ा नही हुआ क्योकि मेरे चूचियो को दबाने वाला कोई नही था। मेरी चूचियां
 तो काफी टाइट और बहुत ही मुलायम बिलकुल मख्खन की टिकिट की तरह। मेरे मम्मो को छूने के बाद कोई
 भी नही चहेगा की मै अपना हाथ चूची से हटा दूँ। और मेरी चूत की बात करे तो मैंने अपनी जिन्दगी में केवल
 एक ही बार चुदवाया है और वो भी मेरे चाचा के लड़के ने मुझे सोते समय मेरी चूचियो को दबाने लगा और मेरी
 चूत में उंगली भी करने लगा था जिससे मै जोश में आ गई थी और उसने मुझे रात के अंधरे में खूब चोदा था।
 और मेरी चूत की सील को तोड़ दिया था। उस वक़्त तो मुझे नही पता चला था कि मेरी सील टूट गयी है, लेकिन
 जब मै सुबह उठी तो मेरे चादर में बहुत जगह खून लगी हुई थी। तब मुझे पता चला की उसने मेरी सील तोड़
 कर मुझे चोद दिया। मुझे उस वक़्त गुस्सा बहुत आया क्योकि मै अपने पति से अपनी सील तुडवाना चाहती
 थी। उस रात उसने मुझे चोद तो दिया था लेकिन उतना मज़ा नही आया था जितना जब मेरी सिलाई वाली
 टीचर के पति ने मुझे बांध कर चोदा था। आज मै आप सभी को अपनी जिन्दगी की सबसे खतरनाक चुदाई
 का महागाथा सुनाने जा रही हूँ। मै तो उस चुदाई को भूल ही नही पाई हूँ। जब उन्होंने मुझे चोदा तो मेरे तो
 रोंगटे खड़े हो गये थे और मेरी चूत तो फटी जा रही थी और मै जोर जोर से चीख रही थी। लेकिन उस हरामी 
ने मेरी चुदाई जब तक नही बंद की जब तक मेरी चूत बिलकुल फ़ैल नही गयी। अब ज्यादा कुछ न कहते हुए
 मै आप सभी को अपनी कहानी सुनाने जा रही हूँ।कुछ दिन पहले की बात है, गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हुई थी।
 मै दिन भर घर में ही रहती थी और कोई भी कम भी नही करती थी। तो इसलिए मम्मी ने मुझसे कहा – तुम
 कोई काम तो करती नही हो दिन, तो जब तक छुट्टी चल रही है तुम पास में जो सिलाई वाली है उनसे तुम सिलाई
 ही सिखलो। आप ये कहानी नॉन वेंज सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे थे। तो मैंने कहा – मम्मी मै नही
 सीखूंगी। तो मम्मी ने कहा तुम्हे जाना है मैंने उनसे बात कर ली है। और जो मैंने एक बार कह दिया वो कह
 दिया बस अब कोई बात नही होगी। मै चुप हो गई। मम्मी ने मुझसे कहा कल से तुमको सिलाई सिखने लाना
 है और वो भी शाम को 6 बजे से 7 बजे तक। क्योकि उनको इससे पहले टाइम नही है। वो उस टाइम में केवल
 तुमको ही सिखायेगी और कोई नही होगा। मैंने उनसे कह दिया है ठीक से सिखाये।मुझे मम्मी की बात
 माननी ही पड़ी। मै अगले दिन शाम के टाइम सिलाई वाली आंटी के घर पहुँच गयी। जब मै उनके घर
 पहुंची तो आंटी ने मुझसे कहा – बिल्कुल ठीक समय पर आई हो मै तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी। मै
 घर के अंदर आ गई। कुछ देर बाद आंटी ने मुझसे कहा – “मैंने तुमको इस टाइम इस लिए बुलाया है
 ताकि मै तुमको ठीक से सिखा सकूँ। अगर तुम बाकि लडकियो के साथ आती तो मै तुम्हारे उपर ज्यादा
 ध्यान नही दे पाती”। कुछ ही देर बाद अंकल जी आ गये, तो आंटी जी कुछ देर के लिए अंदर चली गई।
 मै बाहर ही बैठी अपना काम कर रही थी। कुछ देर बद वो फिर बाहर आई उन्होंने ने मुझे पूरे एक घंटे
 तक सिलाई के बारे में बताया। फिर मै घर चली गई। ऐसे ही धीरे धीरे समय बीतता गया, मै कुछ ही
 दिनों में बहुत कुछ सिख गई थी।एक दिन मै सिलाई सिखने के लिए अपने समय पर उनके घर गई तो
 दरवाज़ा खुला था, तो मै अंदर आ गई। जब मै अंदर आई तो अंदर से अहह अहह उनहू उनहू उनहू … 
उफ़ उफ़ करके चखने की आवाज़ आ रही थी। मैंने सोचा चलो अंदर चलकर देखती हूँ आवाज़ कहाँ से आ
 रही है और आंटी कहा है। मै जब अंदर गई तो अंकल जी नंगे और आंटी भी नंगी थी और वो दोनों लगातार
 चुदाई कर रहे थे। जब मैंने आंटी को चुदते देखा तो मेरे अंदर भी जोश की ज्वाला भड़क उठी। मेरा मन भी
 चुदने को करने लगा था। मै उनको चुपके से देख रही थी अंकल जी का मोटा लंड उनकी चूत को फाड़ रहा
 था और आंटी जी जोर जोर से चीख रही थी। मै बहुत ज्यादा जोश में आ गयी थी और मै अपने चूचियो को
 मसलने लगी थी। फिर कुछ देर बाद मै बाहर चली गई और बाहर से आवाज़ लगी। कुछ देर बाद वो बाहर
 आई। उनको देख कर लग रहा था अंकल ने बहुत बेरहमी से उनको चोदा है क्योकि वो अपने पैरो को फैला
 फैला कर चल रही थी। उस दिन के बाद मेरा भी किसी से चुदने का मन कर रहा था लेकिन कोई मुझे चोदने
 वाला था ही नही। मै अपनी चूत में ऊँगली डाल डाल कर काम चला रही थी।
एक दिन मै सिलाई नही गई थी और उसी दिन आंटी जी अपने मायके दो दिनों के लिए चली गई थी और 
मुझे पता नही था। मै अगले दिन उनके घर पहुंची। दरवाजा खुला था, मै सीधे अंदर चली गई, कोई बाहर था
 नही तो मै आंटी को बुलाने के लिए अंदर चली गई। जब मै अंदर गई तो मैंने देखा अंकल जी टीवी में सेक्सी
 वीडियो लगा कर देख रहे थे। मुझे पता नही था कि वो ये देख रहे होंगे इसलिए मै सीधे अंदर चली गयी।
 अंकल जी नंगे बैठे थे और अपने मोटे से लंड को अपने हाथो में पकडे हुए सहला रहे थे। वो बहुत ही जोश
 में थे, जब उन्होंने मुझे देख तो पहले तो उन्होंने अपने लंड को ढक लिया। मै बाहर आने लगी, तो अंकल 
जी ने दौड़ कर मेरे हाथो को पकड कर अपने कमरे में ले आये। आप ये कहानी नॉन वेंज सेक्स स्टोरी डॉट
 कॉम पर पढ़ रहे थे। और उन्होंने मुझसे कहा – आज मेरा मन किसी को चोदने को कर रहा है और तुम्हारी
 आंटी भी नही है। क्या तुम मुझसे चुदवा सकती हो। न तुम किसी से बताना की मै गन्दी फिल्मे देख रहा था
 और न मै किसी दे कहूँगा की मैंने तुमको चोदा है। तो मैंने कहा – मै किसी भी हालत में आप से नही चुदवाऊँगी।
 मेरी इस बात पर अंकल जी को मुझ पर गुस्सा आ गया। उन्होंने ने मेरे हाथो को एक कपडे से बांध दिया और
 साथ मेरे मेरे मुह को भी बांध दिया। और फिर बहर जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया।कुछ देर बाद अंकल जी
 कमरे में जब आये तो उन्होंने अपने लंड में कंडोम पहन लिया था। उनका मोटा लंड मेरी नजरो में था।
 मै सोच रही थी की अभी कुछ देर में ये मेरी चूत को फैला देगा। मै सोच ही रही थी की उन्होने मेरे हाथो को
 बेड में बांध दिया और और मेरे पैरो को भी बांध दिया और और वो मेरे पैरो को सहलाते हुए मेरे जांघ की
 तरफ बढ़ने लगे। मुझे गुस्से के साथ जोश भी आ रहा था, कुछ ही देर में उनका हाथ मेरी चूत के पास
 पहुँच गया। वो मेरे बुर को छूते हुए मेरी कमर से होते हुए मेरे मम्मो को दबाते हुए मेरे होठो को अपने
 हाथो से सहलाते हुए उन्होंने मेरे होठो को अपने मुह में भर लिया। और मेरे होठो को पीने लगे, कुछ
 ही देर में वो मेरे होठो को काटने लगे और साथ में मेरे मम्मो को भी दबाने लगे थे। मेरे अंदर भी जोश
 की ज्वालामुखी फट गई और मै भी अपने मुह को हल्का सा उठा कर उनके होठो को पीने लगी।
 मैंने भी अंकल जी के निचले होठ को काटने लगी जिससे अंकल जी और भी मूड में आने लगे।कुछ देर के
 बाद अंकल जी ने मेरे होठो को चुसना बंद कर दिया और मेरे गाल और मेरे गले को पीते हुए मेरी चूचियो
 के तरफ बढ़ने लगे। धीरे धीरे वो मेरे मम्मो के पास पहुँच गये और मेरे मम्मो को दबाने लगे। मैंने उस दिने
 शर्ट पहनी थी, कुछ देर मेरे चूचियो को दबाने के बाद उन्होंने एक एक करके मेरे शर्ट की पूरी बटन खोल दिया,
 और मेरे लाल रंग के ब्रा में मेरे गोर चूचियो को निहारने लगे। कुछ ही देर में उन्होंने मेरे शर्ट और ब्रा दोनों को 
निकाल दिया और मेरे मम्मो को बड़े जोश से अपने दोनों हाथो से दबाने लगे और कुछ ही देर में उन्होंने मेरे
 चूचियो को अपने मुह में लेकर पीना भी शुरु कर दिया। वो मेरे चूचियो को इस तरह से पी रहे थे जैसे लग
 रहा था जैसे वो अपनी मम्मी की चूचियो को पी रहे हो। अंकल जी अब जोश से मेरे मम्मो को दबा दबा कर
 पी रहे थे। और मै भी धीरे धीरे और भी जोशीली हो गई और मै धीरे धीरे सिसकने लगी थी। कुछ देर बाद जब 
वो बहुत ही ज्यादा जोशीले हो गये तो वो मेरे मम्मो को जल्दी जल्दी पीने लगे जिससे कभी कभी उनके नुकीले
 दन्त मेरी चूचियो में लग जाते और मै जोर से चीख पड़ती।
बहुत देर तक मेरे मम्मो को पीने के बाद अंकल जी धीरे धीरे मेरी कमर को सहलाते हुए मेरी चूत की तरफ
 बढ़ने लगे। और जोश में अपने बदन को ऐंठ रही थी। कुछ ही देर में वो मेरी चूत को सहलाने लगे। जिससे
 मै बहुत ही कामातुर होने लगी थी और मै जोश से तडप रही थी। कुछ देर बाद मैंने अंकल से कहा – मेरे हाथो 
को खोल दीजिये। तो उन्होंने कहा – अब तो ये चुदाई के बाद ही खुलेगी। तो मैंने कहा – मै भी चुदवाने के लिए
 तैयार हूँ। मेरे हाथो को खोल कर आराम से चोदो, ताकि मुझे भी मज़ा आये और आप को भी। वो मेरी बात मन
 गए और मेरे हाथो को खोल दिया। और मेरे जीन्स को निकाल कर मेरे बुर को पैंटी के उपर ही पेलने लगे जिससे
 मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। आप ये कहानी नॉन वेंज सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे थे। फिर कुछ देर बाद 
अंकल जी ने मेरी पैंटी को निकाल दिया और मेरी बुर को फ़ैलाने के लिए तैयार अपने लौड़े को मेरी चूत के करीब
 लाने लगे। मैंने अपने आंखे बंद कर ली और अपने चूत के दाने को अपने हाथो से मसलने लगी। कुछ ही देर
 में उन्होंने अपने लौड़े को मेरी चूत की दीवार में रगड़ते हुए मेरी चूत के अंदर डाल दिया और मै अपनी चूत
 के दाने को मसलती हुई चीखने लगी। अंकल जी ने अपने लंड को बहर ले लिए और फिर कुछ देर बाद मेरी
 बुर के अंदर अपने लंड को डाल दिया। मै तो चीख रही थी लेकिन अंकल जी अब रुकने वाले नही थे वो लगातार
 मेरी चूत में अपने लंड को डालने लगे थे। मेरी चूत बार बार खुल और बंद हो रही थी और उनक मोटा लंड मेरी
 चूत की मुलायम दीवार में रगड़ रही थी जिससे मेरे चूत से एक मरोड़ शुरु हो रही थी और दूर में ख़त्म हो जाती।
 अंकल का लौडा मेरी चूत को फैला रहा था। अंकल जी का लंड जब अंदर बाहर हो रहा रहा तो उनका लंड मेरी
 चूत के दाने में रगड़ रहा था जिससे कुछ ही देर में मेरी चूत अपने आप को रोक नही पी और अपने अंदर से
 कुछ चिपचिपा पदार्थ निकाने लगी जिससे अंकल जी के लंड वो पूरी तरह से लग गया था और अब उनका 
लंड मेरी चूत में ठीक से अंदर तक जा रहा था। जिससे अंकल जी और भी तेजी से मुझे चोदने लगे।
 कुछ ही देर में मेरी चूत फटने लगी क्योकि वो बहुत तेजी से चोदने लगे थे और मै “..मम्मी आह आह अह…
 उफ़ फूफउफ्फ्फ उफू…. उनहू उनहू उनहू आह आह ओह ओहोहो ओह्ह्ह ओह्ह अह अह मम्मी…
मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ……ही ही ही ही ही…..अहह्ह्ह्हह
 उहह्ह्ह्हह…. उ उ उ..”और चोदो लेकिन आराम से अहह करके मै चीखने लगी । मेरी तो जान निकलने लगी
 थी, और मै अपने मम्मो और अपनी चूत के दाने को बार बार मसल रही थी। लगभग 1 घंटे तक अंकल ने मेरी
 चूत चोद चोद कर पूरी तरीके से फैला दिया था।कुछ देर बाद जब उनका माल निकाने वाला था तो उन्होंने मेरी
 चूत को राहत देते हुए उसमे से पाने लंड को बाहर निकाल लिया और मेरे मुह में रख कर मुह को पेलने लगे।
 कुछ देर मेरे मुह में पेलने के बाद उन्होंने लंड बाहर निकाल कर हाथो से मुठ मारने लगे। कुछ देर लगातार
 मुठ मरने से उनके लंड से उनका माल निकलने लगा। और अंकल जी के मुह से अहह अहह अहह येह अहह
 उफ़ उफ़ करके आवाज़ निकने लगी थी।
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चुदाई के बाद मैंने अपने कपडे पहन लिए। और घर चली आई, मम्मी ने मुझसे पूछा आज देर क्यों हो गई,
 तो मैंने मम्मी से कहा आज आंटी जी थी नही तो अंकल जी ने कहा मेरे लिए थोडा खान ही बना दो तो इसलिए
 मुझे थोड़ी देर लग गई।जब आंटी जी आ गयी तो उन्होंने मुझसे पूछा – तुमने अंकल जी चुदवाया है ना??
 तो मैंने उनसे कहा – आप को कैसे पता चला?? तो उन्होंने बताया मैंने उस कमरे में एक छुपा हुआ कैमरा
 लगकर रखा है। तब मैंने उनसे सारी सचाई बताई। तो उन्होंने कहा फिर ऐसा मत करना। मैंने कहा ठीक है।

Wednesday, November 8, 2017

मैंने अपने भाई की कुँवारा लंड अपनी चुत में ली


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हाय दोस्तों क्या आप सभी मुठ मारते है. मुझे तो एकेले में मुठ मारना बहुत अच्छा लगता है. मैं भी क्या बात कर रही हूँ आप सब इस साईट पर आते ही है कहानिया पढ़ मुठ मारनें के लिए यह पर तो कई शादी शुदा लोग भी आते है कहानिया पढ़नें अपनी बीवी के अलावा किसी और की चूत की कहानी पढ़ मजे करनें लोगो के एक्सपीरियंसेस जाननें के लिए. वैसे आप सभी को बता दूँ मेरा नाम सुनीता है ! मेरा छोटा भाई 12th में पढ़ता है! वह गोरा चिट्टा और करीब मेरे ही बराबर लम्बा भी है ! मैं इस समय 20 की हूँ और वह 18 का! मुझे भैय्या के गुलाबी होंठ बहूत प्यारे लगते हैं ! दिल करता है कि बस चबा लूं ! पापा गल्फ़ में है और माँ गवर्नमेंट जॉब में ! माँ जब जॉब की वजह से कहीं बाहर जाती तो घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे ! मेरे भाई का नाम राज है और वह मुझे दीदी कहता है ! एक बार मान कुछ दिनों के लिये बाहर गयी थी ! उनकी इलेक्शन ड्यूटी लग गयी थी ! माँ को एक हफ़्ते बाद आना था ! रात मैं डिनर के बाद कुछ देर टी वी देखा फ़िर अपनें-अपनें कमरे मैं सोनें के लिये चले गये!
करीब एक आधे बाद प्यास लगनें की वजह से मेरी नींद खुल गयी ! अपनी सीधे टेबल पर बोटल देखा तो वह खाली थी ! मैं उठकर किचन में पानी पीनें गयी तो लौटते समय देखा कि राज के कमरे की लाइट ओन थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था ! मुझे लगा कि शायद वह लाइट ओफ़ करना भूल गया है मैं ही बन्द कर देती हूँ ! मैं चुपके से उसके कमरे में गयी लेकिन अन्दर का नजारा देखकर मैं हैरान हो गयी !
राज एक हाथ मैं कोई किताब पकड़ कर उसे पढ़ रहा था और दूसरा हाथ से अपनें तनें हुए लण्ड को पकड़ कर मुठ मार रहा था ! मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम लगनें वाला दसवी का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है ! मैं दम साधे चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही. लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया ! उसनें मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाजे पर मुझे खड़ा देखकर चौंक गया! वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया ! फिर उसनें मुँह फ़ेर कर किताब तकिये के नीचे छुपा दी ! मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूं ! मेरे दिल मैं यह ख्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शर्मायेगा और बात करनें से भी कतरायेगा ! घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता ! मुझे अपनें दिन याद आये! मैं और मेरा एक कज़िन इसी उमर के थे जब से हमनें मज़ा लेना शुरू किया था तो इसमें कौन सी बड़ी बात थी अगर यह मुठ मार रहा था !
मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी! वह चुपचाप लेटा रहा ! मैंनें उसके कंधो को दबाते हुई कहा. “अरे यार अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बन्द कर लिया होता” ! वह कुछ नहीं बोला. बस मुँह दूसरी तरफ़ किये लेटा रहा ! मैंनें अपनें हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली “अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया! कोई बात नहीं मैं जाती हूँ तो अपना मज़ा पूरा कर ले! लेकिन जरा यह किताब तो दिखा! मैंनें तकिये के नीचे से किताब निकाल ली! यह हिन्दी मैं लिखे अन्तर्वासना पोर्न स्टोरीज की किताब थी! मेरा कज़िन भी बहूत सी अन्तर्वासना पोर्न स्टोरीज की किताबें लाता था और हम दोनों ही मजे लेनें के लिये साथ-साथ पढ़ते थे! चुदाई के समय किताब के डायलोग बोल कर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे!
जब मैं किताब उसे देकर बाहर जानें के लिये उठी तो वह पहली बार बोला. “दीदी सारा मज़ा तो आपनें खराब कर दिया. अब क्या मज़ा करुंगा!

“अरे! अगर तुमनें दरवाज़ा बन्द किया होता तो मैं आती ही नहीं!
“और अगर आपनें देख लिया था तो चुपचाप चली जाती!
अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब 6-7 महीनें से नहीं आया था इसलिये मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी! राज मेरा छोटा भाई था और बहूत ही सेक्सी लगता था इसलिये मैंनें सोचा कि अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जानें की क्या जरूरत? फिर राज का लौड़ा अभी कुंवारा था! मैं कुँवारे लण्ड का मज़ा पहली बार लेती. इसलिये मैंनें कहा. “चल अगर मैंनें तेरा मज़ा खराब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ! फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुर्झाये लण्ड को अपनी मुट्ठी में लिया! उसनें बचनें की कोशिश की पर मैंनें लण्ड को पकड़ लिया था! अब मेरे भाई को यकीन हो चुका था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी. इसलिये उसनें अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लण्ड ठीक से पकड़ सकूँ! मैंनें उसके लण्ड को बहूत हिलाया-डूलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ! वह बड़ी मायूसी के साथ बोला “देखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है!
“अरे! क्या बात करते हो? अभी तुमनें अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है! मैं अभी अपनें प्यारे भाई का लण्ड खड़ा कर दूंगी! ऐसा कह मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी! मैं उसका लण्ड सहलानें लगी और उससे किताब पढ़नें को कहा! “दीदी मुझे शर्म आती है! “साले अपना लण्ड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी! मैंनें ताना मारते हुए कहा “ला मैं पढ़ती हूँ! और मैंनें उसके हाथ से किताब ले ली ! मैंनें एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलोग थे! और उससे कहा. “मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला! मैंनें पहले पढ़ा. “अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहूत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ” !  दोस्तों आप ये कहानी अन्तर्वासना पोर्न स्टोरीज डॉट कॉम  पे पढ़ रहे है!
“अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलियेकि मेरा लण्ड बहूत बड़ा है. तुम्हारी नाजुक कसी चूत में कैसे जायेगा?
और इतना पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिये क्योंकि यह हालत बिलकुल उलटे थे! मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लण्ड छोटा था! वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ायी के बाद ही उसके लण्ड मैं जान भर गयी और वह तन कर करीब ६ इँच का लम्बा और १५ ! इँच का मोटा हो गया! मैंनें उसके हाथ से किताब लेकर कहा. “अब इस किताब की कोई जरूरत नहीं ! देख अब तेरा खड़ा हो गया है ! तो बस दिल मैं सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मु्ठ मार देती हूँ” !
मैं अब उसके लण्ड की मु्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था ! बीच बीच मैं सिस्कारियां भी भरता था ! एकाएक उसनें चूतड़ उठा कर लण्ड ऊपर की ओर ठेला और बोला. “बस दीदी” और उसके लण्ड नें गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा ! मैं उसके लण्ड के रस को उसके लण्ड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा. “क्यों भय्या मज़ा आया”
“सच दीदी बहूत मज़ा आया” ! “अच्छा यह बता कि ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?” “दीदी शर्म आती है ! बाद मैं बताऊँगा” ! इतना कह उसनें तकिये मैं मुँह छुपा लिया !
“अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आयेगी ! और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बन्द कर लिया करना” ! “अब क्या करना दरवाज़ा बन्द करके दीदी तुमनें तो सब देख ही लिया है” !
“चल शैतान कहीं के” ! मैंनें उसके गाल पर हलकी सी चपत मारी और उसके होंठों को चूमा ! मैं और किस करना चाहती थी पर आगे के लिये छोड़ कर वापस अपनें कमरे में आ गयी ! अपनी सलवार कमीज उतार कर नाइटी पहननें लगी तो देखा कि मेरी पैंटी बुरी तरह भीगी हुयी है ! राज के लण्ड का पानी निकालते-निकालते मेरी चूत नें भी पानी छोड़ दिया था ! अपना हाथ पैंटी मैं डालकर अपनी चूत सहलानें लगी ऊंगलियों का स्पर्श पाकर मेरी चूत फ़िर से सिसकनें लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया ! चूत की आग बुझानें का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी उँगली के ! मैं बेड पर लेट गयी ! राज के लण्ड के साथ खेलनें से मैं बहूत एक्साइटिड थी और अपनी प्यास बुझानें के लिये अपनी बीच वाली उँगली जड़ तक चूत मैं डाल दी ! तकिये को सीनें से कसकर भींचा और जान्घों के बीच दूसरा तकीया दबा आंखे बन्द की और राज के लण्ड को याद करके उँगली अन्दर बाहर करनें लगी ! इतनी मस्ती चढ़ी थी कि क्या बताये. मन कर रहा था कि अभी जाकर राज का लण्ड अपनी चूत मैं डलवा ले ! उँगली से चूत की प्यास और बढ़ गयी इसलिये उँगली निकाल तकिये को चूत के ऊपर दबा औन्धे मुँह लेट कर धक्के लगानें लगी ! बहुत देर बाद चूत नें पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी !
सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था ! लाख रगड़ लो तकिये पर लेकिन चूत मैं लण्ड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या ! बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि राज के कुँवारे लण्ड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाये ! फिर उठ कर तैयार हुयी ! राज भी स्कूल जानें को तैयार था ! नाश्ते की टेबल हम दोनों आमनें-सामनें थे ! नजरें मिलते ही रात की याद ताजा हो गयी और हम दोनों मुस्करा दिये ! राज मुझसे कुछ शर्मा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ ! मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जायेगा इसलिये चाहते हुई भी ना बोली!

चलते समय मैंनें कहा. “चलो आज तुम्हे अपनें स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ” ! वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया ! वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था ! वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था ! मैंनें स्पीड से स्कूटर चलाया तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और सम्भालनें के लिये उसनें मेरी कमर पकड़ ली ! मैं बोली. “कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?”
“अच्छा दीदी” और उसनें मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया ! उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह अपनी जान्घों के बीच मेरे चूतड़ को जकड़े था !

“क्या रात वाली बात याद आ रही है राज”
“दीदी रात की तो बात ही मत करो ! कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल मैं भी शुरू हो जाऊँ”! “अच्छा तो बहूत मज़ा आया रात में”

“हाँ दीदी इतना मज़ा जिन्दगी मैं कभी नहीं आया ! काश कल की रात कभी खत्म ना होती ! आपके जानें के-की बाद मेरा फ़िर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ! ऐसे ही सो गया” !
“तो मुझे बुला लिया होता ! अब तो हम तुम दोस्त हैं! एक दूसरा के काम आ सकते हैं” !
“तो फ़िर दीदी आज राख का प्रोग्राम पक्का”!
“चल हट केवल अपनें बारे मैं ही सोचता है ! ये नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है? मुझे तो किसी चीज़ की जरूरत नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास!
“अरे आप तो नाराज हो गयी दीदी ! आप जैसा कहेंगी वैसा ही करुंगा ! मुझे तो कुछ भी पता नहीं अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा” !
तब तक उसका स्कूल आ गया था ! मैंनें स्कूटर रोका और वह उतरनें के बाद मुझे देखनें लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बगैर आगे चल दी ! स्कूटर के शीशे मैं देखा कि वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है ! मैं मन ही मन बहूत खुश हुयी कि चलो अपनें दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया !
शाम को मैं अपनें कालेज से जल्दी ही वापस आ गयी थी ! राज २ बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया ! मुझे लेटा देखकर बोला. “दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?” “ठीक ही समझो. तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या” “दीदी कल सण्डे है ही ! वैसे कल रात का काफी होमवर्क बचा हुआ है” ! मैंनें हंसी दबाते हुए कहा. “क्यों पूरा तो करवा दिया था ! वैसे भी तुमको यह सब नहीं करना चाहिये ! सेहत पर असर पढ़ता है ! कोई लड़की पटा लो. आजकल की लड़कियाँ भी इस काम मैं काफी इंटेरेस्टेड रहती हैं” ! “दीदी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिये सलवार नीचे और कमीज ऊपर किये तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो” ! “नहीं ऐसी बात नहीं है ! लड़की पटानी आनी चाहिये” !
फिर मैं उठ कर नाश्ता बनानें लगी ! मन मैं सोच रही थी कि कैसे इस कुँवारे लण्ड को लड़की पटा कर चोदना सिखाऊँ? लंच टेबल पर उससे पूछा. “अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?”
“हाँ दीदी मधु से” !
“कहाँ तक”
“बस बातें करते हैं और स्कूल मैं साथ ही बैठते हैं” !
मैंनें सीधी बात करनें के लिये कहा. “कभी उसकी लेनें का मन करता है?”
“दीदी आप कैसी बात करती हैं” ! वह शर्मा गया तो मैं बोली. “इसमे शर्मानें की क्या बात है ! मुट्ठी तो तो रोज मारता है ! ख़्यालों मैं कभी मधु की ली है या नहीं सच बता” ! “लेकिन दीदी ख़्यालों मैं लेनें से क्या होता है” ! “तो इसका मतलब है कि तो उसकी असल में लेना चाहता है” ! मैंनें कहा !
“उससे ज्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ. जो मुझे बहूत ही अच्छी लगती है” ! “जिसकी कल रात ख़्यालों मैं ली थी” उसनें सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछनें पर भी उसनें नाम नहीं बताया ! इतना जरूर कहा कि उसकी चूदाई कर लेनें के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बतायेगा ! मैंनें ज्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फ़िर से गीली होनें लगी थी ! मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लण्ड के लिये बेचैन हो वह खुद मेरी चूत मैं अपना लण्ड डालनें के लिये गिड़गिड़ाये! मैं चाहती थी कि वह लण्ड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदनें दो ! मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिये बोली. “अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ” !  दोस्तों आप ये कहानी अन्तर्वासना पोर्न स्टोरीज डॉट कॉम  पे पढ़ रहे है!
वह अपनी यूनीफोर्म चेंज करनें गया और मैंनें भी प्लान के मुताबिक अपनी सलवार कमीज उतार दी ! फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी क्योंकि पटानें के मदमस्त मौके पर ये दिक्कत करते ! अपना देसी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज़ ही ऐसे मौके पर सही रहते हैं ! जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपनें-अपनी आप आसानी से घुटनें तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है ! जहाँ तक ढीलें ब्लाउज़ का सवाल है तो थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है ! बस यही सोच कर मैंनें पेटीकोट और ब्लाउज़ पहना था !
वह सिर्फ़ पायजामा और बनियान पहनकर आ गया ! उसका गोरा चित्त चिकना बदन मदमस्त करनें वाला लग रहा था ! एकाएक मुझे एक आइडिया आया ! मैं बोली. “मेरी कमर मैं थोड़ा दर्द हो रहा है जरा बाम लगा दे” ! यह बेड पर लेटनें का पर्फेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी ! मैंनें पेटीकोट थोड़ा ढीला बांधा था इस लिये लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरी बीच की दरार दिखाये देनें लगी ! लेटते ही मैंनें हाथ भी ऊपर कर लिये जिससे ब्लाउज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करनें के लिये ज्यादा जगह मिल गयी ! वह मेरे पास बैठ कर मेरी कमर पर (आयोडेक्स पैन बाम) लगाकर धीरे धीरे मालिश करनें लगा ! उसका स्पर्श (टच) बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी ! थोड़ी देर बाद मैंनें करवट लेकर राज की और मुँह कर लिया और उसकी जान्घ पर हाथ रखकर ठीक से बैठनें को कहा ! करवट लेनें से मेरी चूचियों ब्लाउज़ के ऊपर से आधी से ज्यादा बाहर निकाल आयी थी ! उसकी जान्घ पर हाथ रखे रखे ही मैंनें पहले की बात आगे बढ़ाई. “तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाया जाता है?”
“अरे दीदी अभी तो मैं बच्चा हूँ ! यह सब आप बतायेंगी तब मालूम होगा मुझे” ! आयोडेक्स लगनें के दौरान मेरा ब्लाउज़ ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाइयाँ नीचे से भी झांक रही थी ! मैंनें देखा कि वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है ! उसके कहनें के अन्दाज से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले मैं ज्यादा बात करना चाह रहा है!
“अरे यार लड़की पटानें के लिये पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है. ये मालूम करनें के लिये कि वह बूरा तो नहीं मानेंगी”! “पर कैसे दीदी” ! उसनें पूछा और अपनें पैर ऊपर किये ! मैंनें थोड़ा खिसक कर उसके लिये जगह बनायी और कहा. “देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज्यादा देर तक पकड़ कर रखो. देखो कब तक नहीं छुटाती है और जब पीछे से उसकी आँख बन्द कर के पूछों कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो ! जब कान मैं कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रगड़ दो! वो अगर इन सब बातों का बूरा नहीं मानती तो आगे की सोचों” !
राज बड़े ध्यान से सुन रहा था ! वह बोला. “दीदी मधु तो इन सब का कोई बूरा नहीं मानती जबकि मैंनें कभी ये सोच कर नहीं किया था ! कभी कभी तो उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती” ! “तब तो यार छोकरी तैयार है और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर” ! “कौन सा दीदी” “बातों वाला ! यानी कभी उसके सन्तरो की तारीफ करके देख क्या कहती है ! अगर मुस्करा कर बूरा मानती है तो समझ ले कि पटानें मैं ज्यादा देर नहीं लगेगी” !
“पर दीदी उसके तो बहुत छोटे-छोटे सन्तरे हैं ! तारीफ के काबिल तो आपके है” ! वह बोला और शर्मा कर मुँह छुपा लिया ! मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था ! मैंनें उसका चेहरा पकड़ कर अपनी और घूमते हुए कहा. “मैं तुझे लड़की पटाना सीखा रही हूँ और तो मुझी पर नजरें जमाये है” !
“नहीं दीदी सच मैं आपकी चूचियों बहूत प्यारी है ! बहुत दिल करता है” और उसनें मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया! “अरे क्या करनें को दिल करता है ये तो बता” ! मैंनें इठला कर पूछा !
“इनको सहलानें का और इनका रस पीनें का”! अब उसके हौसले बुलन्द हो चुके थे और उसे यकीन था कि अब मैं उसकी बात का बूरा नहीं मानूँगी! “तो कल रात बोलता ! तेरी मुठ मारते हुए इनको तेरे मुँह मैं लगा देती ! मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता ! चल आज जब तेरी मुठ मारूंगी तो उस वक्त अपनी मुराद पूरी कर लेना” ! इतना कह उसके पायजामा मैं हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था ! “अरे ये तो अभी से तैयार है” !
तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीनें मैं छुपा लिया ! मैंनें उसको बांहों मैं भरकर अपनें करीब लिटा लिया और कस के दबा लिया ! ऐसा करनें से मेरी चूत उसके लण्ड पर दबनें लगी ! उसनें भी मेरी गर्दन मैं हाथ डाल मुझे दबा लिया ! तभी मुझे लगा कि वो ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को चूस रहा है ! मैंनें उससे कहा “अरे ये क्या कर रहा है? मेरा ब्लाउज़ खराब हो जायेगा” !
उसनें झट से मेरा ब्लाउज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया! मैं उसकी हिम्मत की दाद दिये बगैर नहीं रह सकी ! वह मेरे साथ पूरी तरह से आजाद हो गया था ! अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आजादी देती हूँ ! अगर मैं उसे आगे कुछ करनें देती तो इसका मतलब था कि मैं ज्यादा बेकरार हूँ चुदवानें के लिये और अगर उसे मना करती तो उसका मूड़ खराब हो जाता और शायद फ़िर वह मुझसे बात भी ना करे ! इस लिये मैंनें बीच का रास्ता लिया और बनावटी गुस्से से बोली. “अरे ये क्या तो तो जबरदस्ती करनें लगा ! तुझे शर्म नहीं आती” !
“ओह्ह दीदी आपनें तो कहा था कि मेरा ब्लाउज़ मत खराब कर ! रस पीनें को तो मना नहीं किया था इसलिये मैंनें ब्लाउज़ को ऊपर उठा दिया” ! उसकी नज़र मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ पर ही थी जो कि ब्लाउज़ से बाहर थी ! वह अपनें को और नहीं रोक सका और फ़िर से मेरी चूचींयाँ को मुँह मैं ले ली और चूसनें लगा ! मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी ! कुछ देर बाद मैंनें जबरदस्ती उसका मुँह लेफ़्ट चूचींयाँ से हटाया और राइट चूचींयाँ की तरफ़ लेते हुए बोली. “अरे साले ये दो होती हैं और दोनों मैं बराबर का मज़ा होता है” !
उसनें राइट मम्मे को भी ब्लाउज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह मैं लेकर चुभलानें लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को सहलानें लगा ! कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमनें को करनें लगा तो मैंनें उससे कहा. “कभी किसी को किस किया है?” “नहीं दीदी पर सुना है कि इसमें बहूत मज़ा आता है” ! “बिल्कुल ठीक सुना है पर किस ठीक से करना आना चाहिये” !
“कैसे”
उसनें पूछा और मेरी चूचींयाँ से मुँह हटा लिया ! अब मेरी दोनों चूचियों ब्लाउज़ से आजाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैंनें उन्हे छिपाया नहीं बल्कि अपना मुँह उसकेउसकी मुँह के पास लेजा कर अपनें होंठ उसके होंठ पर रख दिये फ़िर धीरे से अपनें होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसनें लगी ! करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही फ़िर बोली !

“ऐसे” !
वह बहूत एक्साइटिड हो गया था ! इससे पहले कि मैं उसे बोलूँ कि वह भी एक बार किस करनें की प्रक्टीस कर ले. वह खुद ही बोला. “दीदी मैं भी करूं आपको एक बार” “कर ले” ! मैंनें मुस्कराते हुए कहा !
राज नें मेरी ही स्टाइल मैं मुझे किस किया ! मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीनें पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दो गुणी हो गयी थी ! उसका किस खत्म करनें के बाद मैंनें उसे अपनें ऊपर से हटाया और बांहों मैं लेकर फ़िर से उसके होंठ चूसनें लगी ! इस बार मैं थोड़ा ज्यादा जोश से उसे चूस रही थी ! उसनें मेरी एक चूचींयाँ पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था ! मैंनें अपनी कमर आगे करके चूत उसके लण्ड पर दबायी ! लण्ड तो एकदम तन कर आयरन रोड हो गया था ! चुदवानें का एकदम सही मौका था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदनें के लिये भीख माँगें और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदनें की इजाजत दूँ !
मैं बोली. “चल अब बहूत हो गया. ला अब तेरी मुठ मार दूँ” ! “दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ” “क्या” मैंनें पूछा ! “लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिये कि मुझे बुरा ना लगे” !
ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है ! वह बोला. “दीदी मैंनें सुना है कि अन्दर डालनें मैं बहूत मज़ा आता है! डालनें वाले को भी और डलवानें वाले को भी ! मैं भी एक बार अन्दर डालना चाहता हूँ” !
“नहीं राज तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन” ! “दीदी मैं आपकी लूँगा नहीं बस अन्दर डालनें दीजिये” ! “अरे यार तो फ़िर लेनें मैं क्या बचा”! “दीदी बस अन्दर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है. चोदूंगा नहीं प्लीज़ दीदी” !
मैंनें उस पर एहसान करते हुए कहा. “तुम मेरे भाई हो इसलिये मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती पर मेरी एक सर्त है ! तुमको बताना होगा कि अकसर ख़्यालों मैं किसकी चोदते हो?” और मैं बेड पर पैर फैला कर चित लेट गयी और उसे घुटनें के बल अपनें ऊपर बैठनें को कहा ! वह बैठा तो उसके पायजामा के ज़र्बन्द को खोलकर पायजामा नीचे कर दिया ! उसका लण्ड तन कर खड़ा था ! मैंनें उसकी बांह पकड़ कर उसे अपनें ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटनें और कोहनी पर आ गया ! वह अब और नहीं रूक सकता था ! उसनें मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लाउज़ से बाहर थी ! मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी !
सुन राज ब्लाउज़ ऊपर होनें से चुभ रहा है ! ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे सन्तरे धाप दे” ! “नहीं दीदी मैं इसे खोल देता हूँ” ! और उसनें ब्लाउज़ के बटन खोल दिये! अब मेरी दोनों चुचियां पूरी नंगी थी ! उसनें लपक कर दोनों को कब्जे मैं कर लिया ! अब एक चूचींयाँ उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था ! वह मेरी चूचियों का मज़ा लेनें लगा और मैंनें अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया ! कुछ देर बाद लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर बोली. “ले अब तेरे चाकू को अपनें ख़रबूज़े पर रख दिया है पर अन्दर आनें से पहले उसका नाम बता जिसकी तो बहूत दिन से चोदना चाहता है और जिसे याद करके मुठ मारता है” !  दोस्तों आप ये कहानी अन्तर्वासना पोर्न स्टोरीज डॉट कॉम  पे पढ़ रहे है!
वह मेरी चूचियों को पकड़ कर मेरे ऊपर झुक गया और अपनें होंठ मेरे होंठ पर रख दिये ! मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसनें लगी ! कुछ देर बाद मैंनें कहा. “हाँ तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है” !
“दीदी आप बुरा मत मानियेगा पर मैंनें आज तक जितनी भी मुठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों मैं रखकर” !
“हाय भय्या तो कितना बेशर्म है ! अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था” ! “ओह्ह दीदी मैं क्या करूं आप बहूत खूबसूरत और सेक्सी है ! मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लण्ड डालना चाहता था ! आज दिल की आरजू पूरी हुयी” ! और फ़िर उसनें शर्मा कर आंखे बन्द करके धीरे से अपना लण्ड मेरी चूत मैं डाला और वादे के मुताबिक चुपचाप लेट गया !
“अरे तो मुझे इतना चाहता है ! मैंनें तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर मैं ही एक लण्ड मेरे लिये तड़प रहा है ! पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती” ! और मैंनें धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी ! बीच-बीच मैं उसकी गाँड भी दबा देती !
“दीदी मेरी किस्मत देखिये कितनी झान्टू है ! जिस चूत के लिये तड़प रहा था उसी चूत में लण्ड पड़ा है पर चोद नहीं सकता ! पर फ़िर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ” ! वह खुल कर लण्ड चूत बोल रहा था पर मैंनें बूरा नहीं माना ! “अच्छा दीदी अब वादे के मुताबिक बाहर निकालता हूँ” ! और वह लण्ड बाहर निकालनें को तैयार हुआ !
मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत मैं लण्ड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उलटा कर रहा था ! मुझे उस पर बड़ी दया आयी ! साथ ही अच्छा भी लगा कि वादे का पक्का है ! अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफादारी का इनाम अपनी चूत चुदवाकर दूँ ! इस लिये उससे बोली. “अरे यार तूनें मेरी चूत की अपनें ख़्यालों में इतनी पूजा की है ! और तुमनें अपना वादा भी निभाया इसलिये मैं अपनें प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी ! चल अगर तो अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत” !
मैंनें जान कर इतनें गन्दे वर्ड्स उसे कहे थे पर वह बूरा ना मान कर खुश होता हुआ बोला. “सच दीदी” ! और फ़ौरन मेरी चूत मैं अपना लण्ड धका धक पेलनें लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ !
“तू बहुत किस्मत वाला है राज” ! मैं उसके कुँवारे लण्ड की चूदाई का मज़ा लेते हुए बोली ! क्यों दीदी” “अरे यार तू अपनी जिन्दगी की पहली चूदाई अपनी ही बहन की कर रहा है और उसी बहन की जिसकी तू जानें कबसे चोदना चाहता था” !
“हाँ दीदी मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा है. लगता है सपनें में चोद रहा हूँ जैसे रोज आपको चोदता था” ! फिर वह मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं दबा कर चूसनें लगा ! उसके धक्कों की रफ्तार अभी भी कम नहीं हुयी थी ! मैं भी काफी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिये मैं भी चूदाई का पूरा मज़ा ले रही थी !
वह एक पल रुका फ़िर लण्ड को गहराई तक ठीक से पेलकर ज़ोर-ज़ोर से चोदनें लगा ! वह अब झड़नें वाला था ! मैं भी सातवें आसमान पर पहूँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी ! उसनें मेरी चूचींयाँ छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह मैं ले लिया जो कि मुझे हमेशा अच्छा लगता था ! मुझे चूमते हुई कस कस कर दो चार धक्के दिये और और “हाय सुनीता मेरी जान” कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया ! मैंनें भी नीचे से दो चार धक्के दिये और “हाय मेरे राजा कहते हुए झड़ गयी !
चुदाई के जोश नें हम दोनों को निढाल कर दिया था ! हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे ! कुछ देर बाद मैंनें उससे पूछा. “क्यों मज़ा आया मेरे बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत चोदनें में” उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था ! उसनें मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ कर अपनें लण्ड को मेरी चूत पर कसकर दबाया और बोला. “बहुत मजा आया दीदी ! यकीन नहीं होता कि मैंनें अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ” ! “तो क्या मैंनें तेरी मुठ मारी है” “नहीं दीदी यह बात नहीं है” ! “तो क्या तुझे अब अफसोस लग रहा है अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बननें का” !
“नहीं दीदी ये बात भी नहीं है ! मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोद बननें मैं ! मन तो कर रह कि बस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रा ही पीता रहूं ! हाय दीदी बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ कि भगवान नें मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी ! अगर एक दो और होती तो सबको चोदता ! दीदी मैं तो यह सोच रहा हूँ कि यह कैसे चूदाई हुयी कि पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं” !
“कोई बात नहीं मज़ा तो पूरा लिया ना?” “हाँ दीदी मज़ा तो खूब आया” ! “तो घबराता क्यों है? अब तो तूनें अपनी बहन चोद ही ली है ! अब सब कुछ तुझे दिखाऊंगी ! जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूँगी और तुझे अपनी चूत भी चटवाऊँगी और तेरा लण्ड भी चूसूँगी ! बहुत मज़ा आता है”! “सच दीदी” “हाँ ! अच्छा एक बात है तो इस बात का अफसोस ना कर कि तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है. मैं तेरे लिये और चूत का जुगाड़ कर दूंगी” !
“नहीं दीदी अपनी बहन को चोदनें मैं मज़ा ही अनोखा है! बाहर क्या मज़ा आयेगा” “अच्छा चल एक काम कर तो माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा”! “ओह दीदी ये कैसे होगा”
“घबरा मत पूरा इन्तज़ाम मैं कर दूंगी ! माँ अभी 39 साल की है. तुझे मादरचोद बननें मैं भी बड़ा मज़ा आयेगा” !
“हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं ! दीदी एक बार अभी और चोदनें दो इस बार पूरी नंगी करके चोदूंगा” ! “जी नहीं आप मुझे अब माफ़ करिये” ! “दीदी प्लीज़ सिर्फ़ एक बार” ! और लण्ड को चूत पर दबा दिया !
“सिर्फ एक बार” ! मैंनें ज़ोर देकर पूछा ! “सिर्फ एक बार दीदी पक्का वादा” !
“सिर्फ एक बार करना है तो बिलकुल नहीं” ! “क्यों दीदी” अब तक उसका लण्ड मेरी चूत मैं अपना पूरा रस निचोड़ कर बाहर आ गया था ! मैंनें उसे झटके देते हुए कहा. “अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे” “हाँ दीदी” !
“ठीक है बाकी दिन क्या होगा ! बस मेरी देखकर मुठ मारा करेगा क्या ! और मैं क्या बाहर से कोई लाऊंगी अपनें लिये ! अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तो बिलकुल नहीं” !
उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आयी तो उसके लण्ड में थोड़ी जान आयी और उसे मेरी चूत पड़ा रगड़ते हुए बोला. “ओह दीदी यू र ग्रेट” !
 

मेरा भाई कल रात नींद में मुझे चोदा और मैं भी रोक नहीं पाई चुद गई







दोस्तों मेरा नाम किरण है, आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी आपको बता रही हु, पर दोस्तों क्या बताऊँ कल से मैं ये सोच सोच कर पागल हो रही हु की मैं सही किया की गलत किया, कभी लगता है सही किया कभी लगता है गलत किया, जबकि मैंने कुछ नहीं किया जो भी किया था मेरा भाई किया था, पर मैं भी गुनाहगार हु, क्यों की मैं भी मस्त लण्ड को पाकर मैं रोक नहीं पाई और मैं भी उस चुदाई में शामिल हो गई. पर शायद अभी भी मेरे भाई को लग रहा होगा की मैं सोई यानी की नींद में ही थी और वो चोद कर चला गया. Indian Sex Story
मेरी उम्र २२ साल है, मैं पानीपत में रहती हु, मेरा भाई करणदीप मेरे से एक साल छोटा है, पर बहूत ही हरामी है. क्यों की मैंने उसको कई बार मोबाइल पर पोर्न मूवी देखते पकड़ा है और रात में उसको मूठ मारते भी देखा है. एक बार तो हद हो गया है. जब वो छत पर गया था और माँ का ब्रा और पेंटी वही धुप में सुख रहा था और वो माँ की ब्रा और पेंटी को उठा लिया और एक साइड पर जाकर वो सूंघ रहा था और अपने लण्ड को सहला रहा था. जब में ऊपर गई तो देखकर वो सकपका गया और बोला हवा चल रही थी इसलिए ये दोनों उड़ने ही बाला था इसलिए मैंने उठा लिया. मैं उसको घूरते हुए उसके हाथों से ब्रा और पेंटी ले ली.
बात यही ख़तम नहीं हुआ, मेरे यहाँ काम बाली आती है जब वो एक दिन पोछा लगा रही थी तो उसकी चूचियां उसके घुटने से दब कर बाहर हो रहा था और वो बैठ कर चादर तोड़ कर काम बाली के चूचियों को निहारते हुए वो लण्ड को हिला रहा था यानी की हस्थमैथुन कर रहा था. मैंने वहा भी उसको गौर से देखि तो वो उठकर नहाने चला गया.
दोस्तों अब मैं कहानी पर आती हु, पहले सोच रही थी की लिखू की नहीं लिखू की नहीं पर आज दिन भर नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर दूसरों की कहानियां पढ़ने के बाद लगा की मैं भी अपनी कहानी को आपके सामने पेश करूँ क्यों की मुझे पता है मैं ये कहानी किसी को सूना नहीं सकती क्यों की इज्जत की बात है. और लोग क्या सोचेंगे, इसलिए मैं नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे ही पब्लिश करवानी मुनाशिब समझी. दोस्तों एक दिन की बात है. मेरी माँ जालंधर गई थी. मेरे पापा की पोस्टिं आज से ठीक एक महीने पहले ही हुयी है वो वह पर टीचर है. पर पाप का तबियत ख़राब हो गई थी. इसलिए माँ को वह जाना पड़ा.
मैं और मेरा भाई दोनों माँ को पानीपत बस स्टैंड पर जाकर चढ़ा दिए बस पर और वापस घर आ गए. मैं तक गई थी इसलिए सो गई थी. और भाई टीवी पर फिल्म देख रहा था. जब मेरी नींद खुली तो देखि की वो टीवी पर एक एडल्ट मूवी देख रहा था. एक गोरा सनी लियोनी को चोद रहा था. और सनी लियोनी फ़क मि फ़क में हार्ड कह रही थी. और वो खुद ही अपनी चूचियां दबा रही थी. दोस्तों उस अंग्रेज का लण्ड बहूत बड़ा था. और सनी लियोनी को तो आप जानते ही होंगे वो खूब चुदवा रही थी. आह आह आह आह आह कर रही थी. और वो बंद सनी लियोनी के गांड में जोर जोर से चाटा मारता और जोर जोर से पीछे से लण्ड को उसके चूत में पेल रहा था.

देखते ही मेरे तन बदन में आग लग गई. मैं अपनी चूचियां खुद ही दबाने लगी. मेरा भाई भी अपना लण्ड निकाल कर थूक लगा कर हिला रहा था वो एक तो मैं मूवी देख रही थी और दूसरी तरफ अपने भाई का करीब आठ इंच का मोटा लण्ड, मैं तो पागल होने लगी. लग रहा था की काश सनी लियोनी को चोदने बाला गोरा मुझझे ऐसे ही चोदता तो कितना मजा आता. यही सब मैं सोच रही थी. तभी भाई उठ खड़ा हो गया और मैं तुरंत आँख बंद कर ली ताकि उसको पता नहीं चले की मैं भी मूवी देख रही थी. मेरे कपडे तो आलरेडी अस्त व्यस्त थे. मेरी चूचियां बड़ी बड़ी बिना दुप्पटे के थी. पैर भी फैलाकर सोई थी. तो आप खुद ही सोचिये की क्या नजारा होगा.
वो उठा मैंने बहूत थोड़ा आँख खोल कर उसको देखने की कोशिश की ओम मेरी चूचियों को निहार रहा था और फिर मेरे चूत के पास भी देख रहा था मैं समझ गई की उसको अभी गर्मी चढ़ी हुयी है. इसलिए वो मुझे ऐसी घूर रहा है. मैं चुपचाप थी, ताकि वो समझे की मैं सो रही हु, पर मैं जगी हुई थी. अचानक वो झुक गया और अपने होठ को मेरे होठ के पास लाया, फिर वो अलग हो गया और फिर मेरी चूची के पास अपने हाथ को ले गया और फिर हटा लिया शायद उसको लग रहा था की अगर दीदी उठ गई तो क्या होता, वो दो तीन मिनट तक खड़ा रहा फिर हौले से मेरी चूचियों को छुआ, दोस्तों मेरे शरीर में विजली दौड़ गई. वो वही बैठ गया और हौले हौले से मेरी चूचियों को सहलाने लगा. करीब पांच मिनट तक ऐसे ही करता रहा फिर वो आराम से दबाने लगा. थोड़े देर बाद वो मेरे कमीज के अंदर हाथ डाल दिया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. मुझे बहूत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा. मुझे लग रहा की वो मुझे चोद दे. क्यों की अभी तक मूवी चल रही थी. और खूब जोर जोर से वो दोनों चुदाई कर रहे थी.

मेरी चूत तो पहले ही काफी गीली हो चुकी थी. मेरा भाई अब मेरी चूत पर हाथ रखा और वो जोर से सांस लिए और बोला वाओ, शायद उसको बहूत गर्मी का एहसास हुआ तभी मैंने करवट ले ली. वो मेरे पीछे आ गया और मेरे साथ ही सो गया. वो मेरे पीछे से मेरे गांड में लण्ड को रगड़ने लगा, मेरी मोती गांड गोल गोल चूतड़, के बिच उसका लण्ड भी महसूस हो रहा था. तभी वो मेरा नाडा खोल दिए और मेरी सलवार को नीच कर दिया. मैं ब्लैक कलर की पेंटी पहनी थी. दोस्तों क्या बताऊँ मुझे भी अपने भाई का लण्ड अपने चूत में लेने के लिए आतुर हो रही थी. उसने पहले मेरी चूतड़ को सहलाया, और फिर पेंटी को सरका कर निचे कर दिया.
अब मेरी गांड उसके सामने थी. मैं थोड़ा गांड को और फैला दी ताकि उसको दिक्कत नहीं हो और सोने का नाटक कर ही रही थी. उसके बाद क्या बताऊँ नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम के दोस्तों, मैं तो हैरान हो गई उसका मोटा लण्ड जैसे मेरे चूत को टच की मेरी तो सिसकियाँ निकलने लगी. पर मैं फिर से अपने आप को संभाली और चुपचाप आँख बंद किये रही और उसने मेरे चूत पे लण्ड को सेट किया और हौले हौले से डालने लगा ताकि मैं उठ नहीं जाऊं, और धीरे धीरे कर के वो मेरे चूत पे अपना लण्ड पूरी तरह से घुसा दिया. अब मुझे मजा आने लगा उधर फिल्म भी देख रही थी और मेरा भाई भी फिल्म देखते देखते चोदने लगा.
मैं खूब मजे ले रही थी पर चुपचाप थी. करीब वो मुझे ऐसे ही बिस मिनट तक चोदा जब की सनी लियोनी के चूत पे पूरा का पूरा वीर्य नहीं डल गया वो भी मुझे चोद ही रहा था. उधर वो झड़ इधर मेरा भाई भी अपना सारा वीर्य मेरे चूत में डाल दिया, उस समय मैं भी झड़ चुकी थी. और फिर वो तुरंत ही उठकर बाहर चल गया. मैंने भी अपने कपडे ठीक से पहन लिए, ऐसे वो मेरे कपडे खुद ही ठीक कर दिया था. और वही लेटी रही तभी चाची आ गई और बोली आज मैं तुम्हारे यहाँ ही सोऊंगी क्यों की तुम्हारी मम्मी बोल कर गई है. यही सोने के लिए.
दोस्तों वो कल रात को यही सोई थी. भाई छत बाले कमरे में सोया था. सुबह ही वो कॉलेज चला गया था. आज रात को सोच रही हु की उसको अपने बाहों में जकड लू या तो रात की तरह से नींद का बहाना बना कर ही चुदवा लू.


Wednesday, November 1, 2017

ट्रेन के टॉयलेट में भाभी चोदी

हेल्लो यारो.. My Hindi Sex Stories की सभी स्टोरीस मैंने पढ़ी हुई हैं और आज मुझे अपनी train sexy story भेजने का मन हुआ. ये ट्रेन में मेरे साथ हुई सच्ची घटना है. एक मस्त अनजान भाभी को मैंने ट्रेल के टॉयलेट के छोड़ डाला. पढ़िए मेरा एक्सपीरियंस..
मेरा नाम मेहुल हैं और मैं 21 साल का हूँ. यह सच्ची घटना आज से दो साल पहले हुई थी जब मैं अपने मम्मी पापा के साथ मुंबई से अमृतसर पश्चिम एक्सप्रेस में जा रहा था. हम लोग थ्री टायर एसी में सफ़र कर रहे थे और ट्रेन के वेस्टर्न टॉयलेट में मैंने एक मारवाड़ी सेक्सी भाभी की चूत मारी थी. यह मारवाड़ी भाभी वापी से ट्रेन में चढ़ी थी अपने पति के साथ. आइये आपको इस कहानी को विस्तार से बताता हूँ.
मेरी बहन लतिका की शादी अमृतसर में हुई हैं और हर साल एक बार हम दो दिन के लिए उसे मिलने जाते है. हम मुंबई से पश्चिम एक्सप्रेस से ही अक्सर जाते हैं, और अगर ट्रेन में जगह ना मिले तो फ्लाईट से चले जाते हैं. मैं अभी बी.इ. लास्ट सेम में हूँ और यह बात तब की हैं जब में फोर्थ सेम में था. मैंने अपने मम्मी पापा के साथ अमृतसर जा रहा था. पश्चिम एक्सप्रेस के थ्री टायर एसी डिब्बे में बहार की गर्मी महसूस नहीं हो रही थी. ट्रेन आधी घंटा लेट चली थी और वापी आते आते तो मैं आधी नींद सो चूका था. वापी उतर के मैंने चिप्स और ड्रिंक ली और दरवाजे के ऊपर ही खड़ा रह गया. तभी मैंने देखा की एक सेक्सी भाभी जिस की उम्र कुछ 30 के करीब होगी वो ट्रोली बेग खिंच के आ रही थी.उसके पीछे एक बूढा भी छोटी सी बेग ले के आ रहा था. ट्रेन यहाँ ज्यादा रूकती नहीं थी इसलिए मुझे लगा की हो ना हो वो हमारे ही डिब्बे में होंगी. इस सेक्सी भाभी ने बड़े गोगल्स लगाये थे और उसने मेरे सामने देख के वही डिब्बे का नंबर पूछा. मैंने उसे हाथ से इशारा किया. भाभी अपनी सेक्सी गांड दिखाते हुए डिब्बे में चढ़ गई. साथ में आया बूढा तो उसे बेग दे के निचे उतर गया, शायद यह सेक्सी भाभी अकेली ही ट्रेन से जाने वाली थी.
मेरा दिल जोर जोर से धडक रहा था, क्यूंकि यह सेक्सी भाभी को देख के पुरे रस्ते मस्त टाइम पास हो सकता था. वो एक ही डिब्बे में थी इसलिए दरवाजे पे खड़े रहने के बहाने से भी उसे ताड़ सकते हैं. मैंने ड्रिंक खतम की उसके पहले तो ट्रेन चल पड़ी. मैंने दरवाजे पे खड़े खड़े हुए ही चिप्स ख़तम की और कान में हेडफोन वापस लगा के मैंने जब अपने कम्पार्टमेंट में आया तो हक्काबक्का रह गया. इस सेक्सी भाभी का नम्बर वही पर था. वो मेरे मोम से बाते कर रही थी. मेरी सिट साइड अपर थी और मैंने ऊपर चढ़ के इस सेक्सी भाभी की गली देखना चालू किया. तभी मेरी मोम ने इस सेक्सी भाभी को कहा, ये मेरा बेटा मेहुल हैं, अन्जिनियरिंग कर रहा हैं. मैंने भाभी को स्माइल दी और उसने भी बड़े सेक्सी अंदाज से स्माइल का जवाब दिया. मैंने उपर अखबार खोल के बैठा था और इस बहाने उसकी गली को देखे जा रहा था. भाभी की क्लेवेज काफी गहरी थी, इस से साफ़ जाहिर था की उसके चुंचे काफी बड़े होंगे. मेरा लंड खड़ा हो रहा था. लेकिन मोम डेड के वहाँ होने की वजह से मैं कुछ कर नहीं सकता था.
थोड़ी देर बाद भाभी ने डिब्बे से कुछ खाना निकाल के खाया, उसने मोम डेड को और मुझे भी खाने के लिए कहा. मोम ने एक बाईट ली और मैंने और डेड ने मना कर दिया. खाने के बाद यह सेक्सी भाभी अपनी अपर बर्थ पे आ गई. मोम डेड ने भी सिट उठा दी. मोम मिडल बर्थ में और डेड लोवर में लेट गए. सामने की तीनो सीटो में अभी कोई नहीं आया था. मेरे निचे एक सरदार जी मुंबई से चढ़े हुए थे, लेकिन वो तो ट्रेन चालु होने से पहले से ही सो गए थे. भाभी अब बिलकुल मेरे सामने थी. मैंने उन्हें देख रहा था. वो सोने के लिए चद्दर खोल के लेटी हुई थी. मेरी नजर बार बार उसकी तरफ जाती थी. सेक्सी भाभी के उभरे हुए अंगो को देख एक लंड के अंदर अजब सा तनाव आया था. भाभी ने कुछ देर तक सोने की ट्राय की लेकिन शायद उसे शोर से नींद नहीं आई. मैं अब भी उसे हर दूसरी मिनिट देख रहा था. पहले तो यह सेक्सी भाभी जैसे की मुझ में इंटरेस्टेड नहीं हो वैसे इधर उधर नजरे घुमाती रही. लेकिन थोड़ी देर बाद उनकी तिरछी नजरे भी मेरे तरफ घुमने लगी. वो बार बार किसी ना किसी बहाने मेरी तरफ देख रही थी. अब वो मुझे हलकी हलकी स्माइल भी दे रही थी. मैं मनोमन सोच रहा था, भाभी एक बार सिग्नल दे दो तुम्हारी चूत में अपनी ट्रेन हम चला देंगे. वैसे भी मोम डेड तो पुरे रास्ते में 75% वक्त सोये रहते हैं इसलिए उनकी टेंशन नहीं थी. भाभी अब मेरी तरफ घूरने लगी. मैंने भी अपनी नजरे उसके उपर से हटाई ही नहीं.
train ke toilet me bhabhi chodi train sexy story
रंडी कहीं की साली
मैंने सोचा की ऐसे देखादेख से कुछ पता नहीं चलेगा, और अमृतसर आ जाएगा. मैंने सिट से निचे उतरा और जाके दरवाजे के पास की खुली जगह पे खड़ा हुआ. यहाँ का बैरा अंदर किसी खाली सिट में जाके सोया होंगा क्यूंकि वहाँ पर उस वक्त मेरे अलावा कोई नहीं था. मैंने अपने हेडफोन की वोल्यूम कम कर दी. पता नहीं मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा था की वह सेक्सी भाभी यहाँ आएगी. 10 मिनिट तक तो ऐसा कुछ हुआ नहीं. मैं मनोमन सोच रहा था की चल बेटे मेहुल बाथरूम जा के सेक्सी भाभी को सपनो में चोद ले. मैं मुठ मारने का पक्का मन बना चूका था तभी मैंने देखा की वह भाभी सिट से निचे उतर गई थी. वो इधर ही आ रही थी. मेरे बदन में एक शीतलहर सी दौड़ गई. भाभी वहाँ आ के रुकी और बोली, हाई…अंदर बहुत बोर लग रहा हैं ना…!!!
मैंने उसके सेक्सी चुंचो की तरफ कुत्ते की तरह देखते हुए कहा, हाँ अंदर सच में बोर लग रहा हैं. उसने अपनी पानी की बोतल से सिप लेते हुए कहा, कहाँ जा रहे हो आप लोग. मैंने कहा, अमृतसर. मैंने उसे पूछा और आप. मैंने भी वहीँ जा रही हूँ. उसने आगे पूछा, कहाँ रहते हो वहाँ पे. मैंने कहा, हम तो यही मुंबई में ही रहते हैं. मेरी दीदी और जीजाजी वहाँ रहते हैं…और आप? सेक्सी भाभी ने आँखों को छोटी करते हुए कहा, मैं वहीँ रहती हूँ, वैसे मैं अँधेरी की हूँ लेकिन मेरे पति की वहाँ साड़ी शो-रूम हैं. मैंने उसके चुंचो से नजर हटा के उसकी तरफ देख के कहा, अमृतसर तो मुंबई से बहुत छोटा हैं, आप एडजस्ट हो गई. भाभी ने अपने चुंचो की उपर मेरी नजर को देखा था लेकिन फिर भी उसने आधे खुले अपने चुंचो के उपर पल्लू नहीं डाला और बोली, मैं सच में मुंबई मिस करती हूँ. कहाँ यहाँ की तेज और रंगीन लाईफ, डिस्को, पबिंग, ड्रिंकिंग, वन-नाईट स्तेंड्स…और वहाँ तो बस में घर की बिल्ली बन गई हूँ….!!
ओत्तेरी, साली यह सेक्सी भाभी तो पार्टी एनीमल थी, मैंने ख़ासकर उसके वन-नाईट स्टेंड वाली बात पे ध्यान किया और उसे कहा, सही बात हैं, लेकिन वन-नाईट स्टेंड तो आप वहाँ भी डेटिंग साईट से कर सकते हैं. उसने हँसते हुए कहा, नहीं यार उसपे मेरा अनुभव इतना अच्छा नहीं हैं. एक बार 55 साल का बुढा 28 की उम्र बता के मुझे मिलने आया था. वैसे तुम तो काफी हेंडसम हो, गर्लफ्रेंड वगेरह हैं या नहीं. मैंने कहा, आज से एक महीने पहले तक थी, अभी हाल में ब्रेकअप हुआ हैं (मैंने जानबूझ के जुठ कहा था, अकेले लडको को भाभी और आंटियां ज्यादा लाइक करती हैं.) सेक्सी भाभी ने मुझे देख के कहा, फिर तो दिक्कत होती होंगी एक महीने से……और वो हंसने लगी, उसके हंसी और बातो का मतलब सीधे मेरी सेक्स लाइफ के ऊपर थी. पता नहीं मुझे उस वक्त क्या हुआ, मैंने उस हंसती हुई सेक्स बम की आँखे देख रुक नहीं पाया. मैंने भाभी के दोनों गालो को अपने हाथो में ले के उसके होंठो के ऊपर किस कर दी. यह सब एकदम से हो गया और भाभी को संभलने का जरा भी मौका नहीं मिला. उसने मेरी छाती के उपर जोर जोर से दो मुक्के लगाये और मैंने उसे छोड़ दिया.

रिक्शेवाला और स्कूल गर्ल

ये sex story है एक कमीने रिक्शेवाले की जो एक Indian school girl को अपनी बातों में फसा के उसकी जवानी की शुरुआत कर देता है। मेरा दावा है की इस erotic sex kahani पढ़ के आपका भी निकल जायेगा।
एक गर्ल्स स्कूल के सामने दो रिक्शेवान खड़े होकर बतिया रहे थे।
“स्कूल में छुट्टी होने वाली है…”-एक रिक्शेवान बोला।
“सुबह से बोहनी नहीं हुई….शायद भाड़ा मिल जाय…..”-दूसरा बोला।
“भाड़ा मिले न मिले लौंडिया तो देखने को मिलेगी।….”
“कल तू क्यों नहीं आया था?….एक कन्टास माल मिली थी।….दूध की तरह गोरी-गोरी टाँग…..उसके घर के सामने ही
मूतने के बहाने मूठ मारा था।”
“कल मेरी साली जाने वाली थी तो सोचा क्यों न रगड़ दूँ….”
“तो….रगड़ दिया….”
“सोच तो यही रहा था….लेकिन साली के नखरे बहुत हैं….बोल रही थी मैं किसी रिक्शेवाले को नहीं दूँगी….मन तो कर रहा
था वहीं लिटाकर उसकी गाड़ चोद दूँ लेकिन बीवी थी इसलिये बच गई बहन की लौड़ी….”
“तो….कुछ तो किया ही होगा…”
“ऐसे कैसे छोड़ देता…..चूची इतनी कस के मीजा है कि एक महीना मुझे याद करेगी….”
“जियो शेर…..और नीचे वाले में ऊँगलीबाजी नहीं की…”
“मन तो कर रहा था 5 कि पाँचों घुसा दूँ लेकिन फिर भी 3 तो घुसेड़ कर ही माना……”
“तेरी जगह मैं होता तो लिटाकर चाप दिया होता साली को……वो मर्द ही क्या जो हाथ में आई चूत को छोड़ दे….”
“घर में बीवी नहीं होती तो बचने वाली कहाँ थी……लेकिन शादी से पहले तो बोरी (चूत) में छेद करके ही मानूँगा…”
“ये हुई न मर्दो वाली बात…….”
तभी घंटी बजी।
यानि छुट्टी हो गई थी।
नीले चेकदार स्कर्ट और सफेद शर्ट में हाई स्कूल व इंटर की लड़कियाँ निकलने लगीं।
ऐसा लग रहा था जैसे पूरा भेड़ो का झुंड ही भागता चला आ रहा हो।
सारी लड़कियाँ अच्छे घरों की थी इसलिये गोरी, मोटी और चिकनी टांगें देख-देख कर
सारे रिक्शावालों का लौड़ा फन्नाने लगा।
सब कि सब एक से एक कन्टास थी। अगर छाँटने को कहा जाय तो जो भी हाथ में आ जाय वही बेहतर।
“साली क्या खाती हैं ये सब……..एक दम दूध मलाई की तरह चिकनी…”
“सब ताजा-ताजा जवान हुई मुर्गियाँ हैं……नरम गोस्त है अभी….पकड़ के दबोच लो तो खून फेंक दें……”
“गाँड़ देख सालियों की…..एकदम चर्बी से लद गई है…….जिसके हत्थे चढ़ेगीं छेदे बिना नहीं छोड़ेगा….”
तभी एक मस्त कुँवारी कच्ची लड़की एक के पास आकर बोली-
“भइया, मिश्रा कालोनी चलने का क्या लोगे?”
लड़की के आते ही दोनों की भाव-भंगिमायें ऐसी हो गई मानों दुनिया के सबसे शरीफ इंसान वही हो।
“जो समझ में आये दे देना अब आप लोगों से क्या माँगें”- शराफ़त से उसने बोला तो लेकिन लड़की की चूचियों का उभार
और उसकी तन्नाई हुई नुकीली चोच देखकर उसका लौड़ा चड्ढी में लिसलिसाने लगा था।
“नहीं पहले भाड़ा बोलो तब बैठूंगी….बाद में आप 10 का 20 मागो तो….”
“अच्छा चलो 15 दे देना……”
लड़की ने दूसरे रिक्शेवाले से पूछा-
“भइया…आप कितना लोगे?”
अभी तक दोनों में बड़ा याराना लग रहा था लेकिन लड़की के सामने आते ही दोनों मानों कटखने कुत्ते की तरह एक दूसरे
को देखने लगे थे।
“अब बेवी जी आप से क्या मोल-तोल करें…10 ही दे दीजियेगा……सुबह से बोहनी नहीं हुई आप के
हाथों से ही बोहनी कर लूँगा……”
लड़की झट से उस रिक्शेवाले के रिक्शे पर बैठ गई।
पहला वाला उसे जलती निगाहों से घूरता रहा।
पर दूसरे वाले की तो बल्ले-बल्ले निकल पड़ी थी।
इधर रास्ते में-
“अच्छा हुआ बेवी जी आप उसके रिक्शे में नहीं बैठी…”
“क्यों?”-लड़की ने पूछा।
“अरे वो बहुत कमीना है……”
“मतलब…..”-लड़की की दिलचस्पी कुछ बढ़ी।
“कैसे कहे आपसे?…….आपको बुरा लग सकता है।”
लड़की कुछ देर सोचती रही।
30 मिनट के इस सफर में बोर होने से अच्छा था कि रिक्शेवाले की चटपटी बातें ही सुनी जाए।
“बताओ तो क्या हुआ…..”
“अरे वो लड़कियों से बदतमीज़ी करता है…”
“किस तरह की बदतमीज़ी…..”
ये वो उमर होती है जब लड़कियों को बदतमीज़ी शब्द सुनकर ही गुदगुदी हो जाती है।”
“अरे वो लड़कियों को लेकर बहुत गंदा-गंदा बोलता है…..”
“क्या बोलता है?”
“आप लोगों को देखकर बोलता है क्या माल है यार…….बस एक बार मिल जाय….”
rikshewala aur indian school girl sex story
खेत में फासी कुंवारी चिकनी माल
लड़की हल्के से फुसफुसाकर हंस पड़ी।
“मैं सच कह रहा हूँ बेवी जी….भगवान कसम…..इससे भी गंदी-गंदी बातें बोलता है…”
रिक्शेवान को लग रहा था कि लड़की चालू टाइप की है। इसलिये वो जानबूझकर मजा ले रहा था।
“पूरी बात बताओ न क्या-क्या बोलता है?….”
“अब जब आप इतना कह ही रही है तो बोल ही देता हूँ….”-रिक्शेवाले का लौड़ा चड्ढी में फनफनाने लगा-“…बोल रहा था
कि कितनी चिकनी-चिकनी हैं जैसे जवान मुर्गी……”
“अच्छा……सच में बहुत कमीना है…”-लड़की भी मस्त होकर सुन रही थी।
“अरे इतना ही नहीं……कह रहा था इनकी उस पर कितनी चर्बी चढ़ गई है….”
“किस पर?”-लड़की ने जानबूझकर रिक्शेवाले को बढ़ावा दिया।
“अब आपके सामने नाम कैसे ले?”
“तुम बताओ ताकि पता तो चले कि वो कितना कमीना है…..”- लड़की की धड़कने बढ़ने लगीं थीं।
न जाने रिक्शावान क्या बोले।
“बात तो सही है आपकी…जब तक आपको बताउंगा नहीं तब तक आप जानेगीं कैसे कि कितना बड़ा कमीना है……..बोल
रहा था कि आप लोगों की गाँड़ पर कितनी चर्बी चढ़ गई है।”
लड़की का हँसने का मन कर रहा था लेकिन किसी तरह उसने कंट्रोल किया।
नासमझ बनने का नाटक करती हुई बोली- “ये क्या होता है?”
रिक्शेवाले को लगा की अंग्रेजी पढ़ने वाली लड़कियों को क्या पता की गाँड़ क्या होता है। इसलिये वो मस्ती से बताने लगा-
“अब आप लोग अंग्रेजी में पता नहीं क्या बोलती है लेकिन हम लोग उसे गाँड़ ही बोलते हैं…..”
“किसे?” -लड़की ने और बढ़ावा दिया। उसे ये सब सुनकर काफी मजा आ रहा था।
“अरे वहीं जहाँ से आप लोग पादती हैं…..”
“शिट…..”-लड़की को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रिक्शेवाला इतना खुला-खुला बोल देगा-
“….आप लोग करते होंगे
हम लोग नहीं करते इतना गंदा काम……”
लड़की की बात सुनकर रिक्शेवाले का लौड़ा फनफना गया था। चड्ढी के अंदर एकाध बूँद माल भी चूँ गया था। उसे तो
अजीब सी मस्ती चढ़ रही थी।
“अब झूठ न बोलिये बेवी जी…….पादती तो आप भी होगी……हमारे सामने कहने से शर्मा रही हैं…..भला गाँड़ है तो पाद
निकलेगी ही….इसमें शर्माने की क्या बात है….”
“ये सब काम गंदे लोग करते हैं……..हम लोग नहीं….”
लड़की की गाँड़ डर के मारे सच में चोक लेने लगी कि कहीं वो सच में ही न पाद निकाल बैठे और रिक्शेवान को आवाज
सुनाई दे जाय।
“अब आपका तो पता नहीं बेवी जी लेकिन जब हम अपनी बीवी को रात में गाँड़ में चापते हैं तब वो ज़रूर पाद मारती
है…..हो सकता है शादी के बाद आपके साथ भी हो……अरे मैं भी क्या बात कर रहा हूँ…….आप इतनी सुन्दर है…..आपकी
गाँड़ भी मोटी है…..आपका पति तो पक्का आपकी गाँड़ चोदेगा……..और जब चोदेगा तो पाद तो निकलेगी ही….”
रिक्शेवाला अपनी औकात भूल बैठा था। मस्ती का खुमार ऐसा उस पर चढ़ गया था कि वो क्या-क्या बके जा रहा है उसे
पता नहीं चल पा रहा था।
“अच्छा अब चुप करो और चुपचाप रिक्शा चलाओ……”- लड़की ने जब देखा की रिक्शेवाला कुछ ज्यादा ही अंट-शंट बकने
लगा है तो उसने उसे हड़काया।
रिक्शावाले की मस्ती को मानों ब्रेक लगा हो।
“सॉरी बेवी जी……लगता है कुछ ज्यादा ही बोल गया…..”
इसके बाद रिक्शे पर कुछ पलों के लिये संनाटा छाया रहा।
रिक्शेवाले की हिम्मत न पड़ी दुबारा कुछ भी बोलने की।
लेकिन अब लड़की को अपने भीतर एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी।

भूत को चूत देकर खुश की

नमस्ते दोस्तों उम्मीद है सभी चुतो को लंड और सभी लंड को चूत का साथ मिल रहा है. और मेरी तो प्रार्थना ही यही होती है की चूत को लंड और लंड को चूत चोदने को मिलता रहे. आज मैं आप के लिए एक अलग ही प्रकार की चुदाई की कहानी ले के आई हूँ. मेरी एक सहेली है जो गाँव में रहती थी. हम दोनों के बिच में काफी क्लोज फ्रेडशिप थी. एक ही कोलेज में हम दोनों ने एडमिशन लिया था. एक साथ ही हम दोनों ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा था. हम दोनों के बिच में सीक्रेट जैसा कुछ नहीं था. हम दोनों ने अपनी लाइफ की पहली ब्ल्यू फिल्म भी एक साथ मिल के ही देखी थी. एक साथ ही हमने लड़के पटाये और एक साथ ही चुदाई का काम भी चालु किया था. हम दोनों को एक दुसरे की नस नस का पता था आप कह सकते हो. वो जिस गाँव से थी वो एकदम गरीब और पिछड़ा हुआ था. और वहां दिन में तो शायद ही लाईट होती थी. और रात में भी अक्सर घंटो भर लाईट गुल रहती थी. और गर्मी में तो ऑलमोस्ट हर कोई बहार ही बिस्तर लगा के सोता था. और नहाने के लिए भी बहार तालाब पर जाते थे. हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट कॉम 
मुझे खुद को भी बहार नहाने में बड़ा मजा आता है. तालाब बिलकुल गाँव से बहार था. और वहां पर कोई मर्द नहीं होते थे सिर्फ औरतें ही होती थी. मैं और मेरी फ्रेंड दोनों तो बिलकुल नंगी हो के खूब नहाती थी. वैसे हम दोनों को ये पता था की गांव के कुछ लड़के हमें तालाब के पास की झाड़ियों से छिप के देखते थे. कभी कभी अगर कोई और हमें देखता ना हो तो हम तालाब में ही एक दुसरे के बूब्स दबाते थे और चूत में ऊँगली भी कर लेते थे. बाकि सब ठीक था और हमारे अपने मजे थे. लेकिन मैं बहार सोती नहीं थी. पता नहीं क्यूँ लेकिन मैं बहुत छोटी थी तभी से मुझे भूतों से बहुत डर लगता था. और गाँव में अँधेरे में मेरा ये डर 10 गुना हो जाता था. मेरी सहेली जानती थी इसलिए उसने घर का एक कमरा मेरे लिए ही खाली करवा दिया था. ओर कमरा उसके घर के पीछे के हिस्से में था. और वो कमरा एक तरफ तालाब वाले रस्ते पर ही खुलता था. और तालाब की वजह से ठंडी ठंडी हवा आती रहती थी. मेरे को छोड़ के बाकी सभी लोग बहार ही सोते थे. मेरी फ्रेंड एक नम्बर की चुदक्कड है. और गाँव के भी कुछ लडको के साथ उसके फिजिकल रिलेशन है. और अक्सर वो रात में घर वालों से छिप के उनके लंड लेने जाती थी. अक्सर वो एक लड़के को मेरे कमरे में ले के आती थी तालाब वाल रस्ते से और मेरे कमरे में ही दोनों मेरे सामने ही सेक्स करते थे. वो लड़का मेरी फ्रेंड को सच्चा प्यार करता था ऐसा मेरी फ्रेंड ने बोला था. इसलिए मैंने कभी उस लड़के का लंड लेने के लिए मेरी फ्रेंड को नहीं बोला. वैसे मैंने गाँव में किसी को अपनी चूत दी भी नहीं थी. क्यूंकि मुझे किसी गंवार लड़के से नहीं चुदवाना था जो सिर्फ मिशनरी पोज में चुदाई करना जानते है. एक रात को मेरी सहेली मेरे पास सोने का बहाना बना के मेरे कमरे में एक लड़के का लंड लेनेवाली थी. उसने मेरे को बोला की मेरा एक फ्रेंड है जो तेरी चुदाई करना चाहता हैं. मैंने कहा नहीं रे मेरे को किसी गाँव के लड़के का नहीं लेना है, पता नहीं उन्हें चोदना भी आता है की नहीं. मेरी फ्रेंड ने मेरे को बहुत कहा लेकिन मैं सेक्स के लिए नहीं मानी. हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट कॉम 

दुसरे दिन जब हम नाहा के लौट रहे थे तो एक बहोत ही स्मार्ट लड़का हमें रास्ते में मिला. उसने मेरी सहेली से बात की पर मेरी तरफ तो उसने देखा भी नहीं. मुझे बुरा तो बहुत लगा. पर मैंने वापस आके पूछा की लड़का कौन है? तो वो कहने लगी की है कोई गाँव का गंवार तुझे क्या मतलब उस से. मैंने बहोत पूछा तो कहा की वो हमारे सरपंच जी का लड़का है जो शहर में पढ़ाई करता है. मैंने कहा यार काफी स्मार्ट लगता हैं इसके साथ मेरी बात करवा दे. और मैंने मेरी फ्रेंड को कहा की इसके साथ चुदाई में भी मजा आयेगा. वो बोली ये तो मुश्किल है. मैंने कहा अरे तू जो कहेगी वो करुँगी मैं इस लड़के के लिए. मेरी फ्रेंड हंस के बोली हमारा तालाब हैं ना वहां एक पीपल का पेड़ है. उसके ऊपर एक भूत है अगर वो तेरे से खुश हो गया तो तू जो चाहे वो तुम्हारे पास में आ जाएगा. मैंने कहा अरे नहीं बाबा मुझे भूतों से बड़ा डर लगता है. तू उसको बोल देना. वो मेरी दोस्त कहने लगी की उसे तो गांव की देहाती लडकियां ही पसनद हे और वो शहर की लड़कियों को लाइक नहीं करता है. और मैं कितना भी कहूँगी वो नहीं मानेगा. और फिर तो डेली वो मेरी सहेली के साथ मेरे सामने बात करता था. और साला वो मेरे सामने एक नजर उठा के देखता भी नहीं था. मैंने अपनी लाइफ में बहुत लड़के देखे है जो लड़की की एक झलक के लिए पागल होते है. लेकिन ये साला मेरी जवानी से उभरी हुई चूचियां और थिरकती हुई गांड को भी नजरअंदाज कर देता था. और लड़की की एक आदत होती है की जो उसे घास नहीं डालता है वो उसको ही पसंद करती है. मेरी भी हालत वही हो चली थी. वो जितना मुझे नजरअंदाज करता था मैं उतनी ही सिद्दत से उसके लंड को अपने अंदर लेने के लिए बहावली हो रही थी. हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट कॉम 
और ये बात अब मुझे उतनी सताने लगी थी की आखिर मैंने अपनी सहेली की वो भुत को प्रसन्न करने वाली बात मान ही ली. मैंने पूछा वो पीपल वाले भुत को कैसे खुश करना है वो बता. वो बोली जब सब सो जायेंगे उसके बाद मैं तेरे को बताउंगी. मैं अब रात का ही इंतज़ार कर रही थी. जब सब सो गए तो वो मेरे पास आई. और उसके पास एक चटाई थी. वो मेरे को बोली चलो मेरे साथ. तालाब के पास पहुँच के उसने मेरे को बोला जा नाहा के आ तालाब में. मैंने कहा अरे पानी ठंडा होगा. वो बोली जा न जल्दी कर. मैं कपडे उतार के नहाने चली गई. एक गोता लगा के मैं बहार आई. मैंने वापस आ के देखा तो वहां पर ना ही मेरी सहेली थी और ना ही मेरे कपडे! मैंने उसे आवाज लगाईं तो मेरी सहेली की आवाज आई की तू अब उस पेड़ के पास में बैठ जा. तुम्हें किसी और को चोदते हुए देख के भुत से कहना होगा की तुम्हें भी ऐसे चुदवाना है वो सरपंच के लड़के के साथ. अगर भुत खुश हुआ तो तो जैसे चाहोगी वैसे चुदवा सकती हो. पर पहले वो एक बार चेक करेगा शायद. और उसने कहा की बस तुम उसके अलावा कुछ और नहीं कहना और उसकी आवाज आते ही अपनी आँखे बंद कर लेना. अगर तुमने कुछ और बात की या अपनी आँखे खोली तो उस लड़के का लंड कभी भी नहीं ले पाओगी. मैंने पलट कर देखा तो वो नंगी उसी चटाई के ऊपर चुद रही थी. वो लड़का जो उसके ऊपर था वो उसको जोर जोर से चोद रहा था. क्या बला का हेंडसम लड़का था और उन दोनों का सेक्स देख के तो मेरी चूत भी पानी पानी होने लगी थी. वो उसे लिटा के, बैठा के, पीछे से वैसे हर तरह से चोद रहा था. मैंने भुत से कहा मुझे भी सरपंच के लड़के से ऐसे ही चुदना है. कुछ देर रुकने के बाद एक आवाज आई, लेट जाओ! 

मैं भी अपनी आँखे बंद कर के लेट गई. थोड़ी देर में मुझे लगा की कोई भीमकाय आदमी मेरे ऊपर झुका हुआ था पर डर की वजह से मैंने अपनी आँखे नहीं खोली. उसने मेरे बोबे काटे, और उन्हें खूब जोर जोर से दबाया. मेरी गीली चूत में ऊँगली डाल डाल के मेरा एकदम बुरा हाल कर दिया. फिर उसने अपना लौड़ा मेरी चूत में एक ही झटके में डाल दिया. मेरी तो चीख ही निकल गई. ऐसा लगा जैसे सच में किसी घोड़े के लंड से मेरी चुदाई हो रही थी. इतना बड़ा और मोटा लंड जो लोहे के जैसा कडक भी था. मैं तो चीख भी नहीं पाई. बहोत देर तक वो मुझे चोदता रहा. और फिर थोड़ी देर में मुझे भी अच्छा लगे लगा. मैंने भी उचक उचक के चुदवा लिया. फिर वो एकदम से कही गायब हो गया. मेरी सहेली ने कहा उठो और घर चलो सुबह होने को है. मैंने कहा की वो खुश तो हुआ होगा ना? तो मेरी सहेली कहने लगी की पता चलेगा अगर वो पट गया तो, वरना कल फिर आना पड़ेगा हम को यहाँ. मैं मान गई. पर उस लड़के ने आज भी मेरी तरफ देखा भी नहीं. फिर रात को मैंने वही किया. वही आवाज आई, इस बार मैं तैयार थी उस मोटे लौड़े के लिए. पर इस बार जैसे कोई दुबला पतला छोटी उम्र का लड़का मेरे को चोद रहा था. उसने मेरे को घुटनों के बल खड़ा कर के मेरी गांड में ऊँगली डाली. फिर अपने लौड़ा रख के अंदर पेल दिया. मेरी गांड अब तक कुंवारी ही थी इसलिए मेरी तो जान ही निकल गई. आँखों से आंसू भी निकल पड़े. पर चुपचाप मैंने गांड मरवा ली अपनी. जी भर के चोदने के बाद भुत चला गया. मैं घर आ गई, अगले दिन वो लड़का मुझे देख के स्माइल दे रहा था और कहने लगा रात को तालाब पर मिलना मेरे को. हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट कॉम 
मैं तो ख़ुशी से पागल हो रही थी. मैं बिलकुल बन थन के रात को उसके लिए तालाब पर गई और उसका वेट करने लगी. वो आया और आते ही मेरे को चूमने लगा. मेरे बोबे मसलने लगा. मैं यही तो चाहती थी. उसने मेरे सारे कपडे खोल के मुझे नंगा कर दिया. फिर वो खुद भी नंगा हो गया. हम दनो एक दुसरे को चूम रहे थे. फिर हमने 69 पोजीशन में आ के एक दुसरे को प्यार किया. मैं उसका लोडा चूसने लगी और वो मेरी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा. थोड़ी देर बाद हम से रहा नहीं गया और उसने ऊपर आ के मेरी चूत में अपना लौड़ा पेल दिया. क्या खूब चोदा उसने मुझे. मैं तो बस सब कुछ भूल के चुदाई के मजे ले रही थी. हम दोनों मस्त चुदाई के बाद साथ में ही झड़ भी गए. वो मेरे बोबे से खेलता हुआ लेटा था. मैंने उसे कहा की तुमसे चुदने के लिए मुझे बहोतो को पटाना पड़ा. वो बोला कैसे? मैंने उसे सब कहानी बताई अपने भूतों से चुदने की. वो  बोला सच कहूँ तो गाँव में लेडिज ये बात करती है लेकिन मेरे को यकीन नहीं होता इस पर. मैंने हंस के कहा तेरी गांड मारने का भुत को सौक हो तो आज रात तू भी चटाई ले के आ जाना यहाँ पर!   हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट कॉम